Ustad Zakir Hussain को श्रद्धांजलि: तबला ने खो दी अपनी जीवंत आवाज

Ustad जाकिर हुसैन (1951-2024), भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे महान वैश्विक दूतों में से एक, 16 दिसंबर 2024 को संन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह गए।

Ustad जाकिर हुसैन (1951-2024), भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे महान वैश्विक दूतों में से एक, 16 दिसंबर 2024 को संन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी मृत्यु से भारतीय संगीत जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। तबला वादन के इस जादूगर ने सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय संगीत का स्वरूप बदला।

संगीत की समृद्ध धारा

Ustad जाकिर हुसैन का संगीत सिर्फ सुरों का मेल नहीं था, बल्कि यह एक संगीतमय संवाद था जो विभिन्न संस्कृतियों और धारा-प्रवाह की जैसी विविधताओं को जोड़ता था। वे हर रचना में एक अलग ताजगी और सृजनात्मकता से भरे रहते थे। उनका तबला वादन ताजगी, गतिशीलता और अप्रतिम लयबद्धता से भरा था, जिससे हर श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाता था। भारतीय संगीत में तबले की जो परंपरा थी, उसे उन्होंने न केवल नया आयाम दिया बल्कि उसे पूरी दुनिया में मान्यता दिलवाई।

धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय

Ustad जाकिर हुसैन का संगीत उनके जीवन के हर पहलू से जुड़ा था। उन्होंने मां सरस्वती की स्तुति, क़ुरान की आयतें और बाइबिल के भजन गाए थे, जिससे उनके संगीत में भारत की समग्रता और सांस्कृतिक समन्वय का संकेत मिलता था। उनका संगीत धार्मिक सीमाओं से परे था और यह इस बात का प्रतीक था कि संगीत सच्चाई और मानवता के सर्वोत्तम रूपों को व्यक्त करने का एक माध्यम है।

एक अनूठी शैली

Ustad जाकिर हुसैन का वादन केवल तकनीकी कौशल पर आधारित नहीं था, बल्कि उनका संगीत एक विचारधारा, एक कहानी कहने का तरीका था। हर नाता, हर ताल और रचना में गहराई और संवेदनशीलता थी। उनकी कला में एक तरह की स्वाभाविक प्रवाहमयीता थी जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती थी। उनका संगीत एक विशेष प्रकार की संवादात्मकता से भरा हुआ था, जिससे यह संगीत न केवल संगीतज्ञों, बल्कि सामान्य श्रोताओं के लिए भी समझने योग्य और आनंददायक बन जाता था।

ग्रैमी पुरस्कार और पहचान

Ustad

Ustad जाकिर हुसैन का जीवन संगीत के क्षेत्र में सफलता की मिसाल था। 2024 के फरवरी महीने में उन्होंने एक ही रात में तीन ग्रैमी पुरस्कार जीतकर अपनी कला की ऊंचाई को साबित किया। यह उपलब्धि सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि भारतीय संगीत के लिए एक गर्व का विषय थी।

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Ustad जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत और विश्व संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने तबला वादन को जो ऊंचाई दी, वह अनमोल है। उनका संगीत, उनके विचार, और उनकी कला हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।

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