Rahul Gandhi : “कौनसा संविधान में लिखा है कि एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाओ?”

Rahul गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने यह सवाल उठाया कि भारतीय संविधान में ऐसा कौन सा प्रावधान है

आज Rahul गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने यह सवाल उठाया कि भारतीय संविधान में ऐसा कौन सा प्रावधान है जो एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाने की बात करता है। राहुल गांधी का यह बयान तब आया जब देश में धर्म के नाम पर बढ़ती राजनीति और समाज में धार्मिक ध्रुवीकरण पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने यह सवाल उठाकर यह संकेत दिया कि कोई भी संविधान या कानून धर्म के आधार पर समाज में नफरत और हिंसा फैलाने की अनुमति नहीं देता।

भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता

भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने, उसे प्रचारित करने और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की स्वतंत्रता दी गई है। इसके बावजूद, संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि राज्य का कोई धार्मिक पक्ष नहीं होगा और कोई भी धार्मिक प्रथाएँ या संस्थाएँ राज्य के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगी। Rahul गांधी ने इस बयान में यह कहा कि यदि कोई व्यक्ति या दल संविधान के खिलाफ जाकर धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाने की कोशिश करता है, तो वह संविधान का उल्लंघन कर रहा है।

धर्म के नाम पर राजनीति

Rahul गांधी का बयान इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कैसे कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं ने धर्म के नाम पर विभाजन और ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर संविधान धर्मनिरपेक्ष है, तो क्यों कुछ लोग धर्म को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि समाज में धार्मिक असंतोष और संघर्ष पैदा किया जा सके। इस संदर्भ में उनका इशारा उन दलों की ओर था जो चुनावों में धर्म का सहारा लेकर वोट बैंक की राजनीति करते हैं।

समाज में धार्मिक असहमति और हिंसा

Rahul गांधी ने यह भी बताया कि कैसे समाज में धार्मिक असहमति और हिंसा का माहौल पैदा किया जा रहा है, जो संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा और संघर्षों से भारतीय समाज में एकता और अखंडता को खतरा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में ऐसे किसी भी प्रावधान का समर्थन नहीं किया गया है जो धार्मिक उन्माद या एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाने की बात करता हो। बल्कि, संविधान का उद्देश्य सभी धर्मों के बीच भाईचारे, समानता और सद्भाव को बढ़ावा देना है।

संविधान की मूल भावना और राहुल गांधी का तात्पर्य

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Rahul गांधी का यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता का जो सिद्धांत है, उसका उल्लंघन करके समाज में धार्मिक तनाव उत्पन्न करना देश के लिए खतरनाक है। उनका कहना है कि संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता को एक बुनियादी अधिकार के रूप में स्थापित किया है, और धर्म के नाम पर नफरत फैलाना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

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Rahul गांधी का यह बयान यह स्पष्ट करता है कि भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष है और इसमें धर्म के नाम पर समाज को विभाजित करने की कोई गुंजाइश नहीं है। संविधान का उद्देश्य सभी धर्मों को समान दर्जा देना और समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है। उनका यह सवाल समाज और राजनीति में बढ़ते धर्मनिरपेक्षता विरोधी विचारों के खिलाफ एक अहम संदेश था।

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