UP के फतेहपुर में 180 साल पुरानी नोूरी जामा मस्जिद का हिस्सा Bulldozer से तोड़ा

UP के फतेहपुर जिले में स्थानीय प्रशासन ने 180 साल पुरानी नोूरी जामा मस्जिद के कुछ हिस्सों को बुलडोज़र से तोड़ दिया।

UP के फतेहपुर जिले में स्थानीय प्रशासन ने 180 साल पुरानी नोूरी जामा मस्जिद के कुछ हिस्सों को बुलडोज़र से तोड़ दिया। यह कार्रवाई सड़क चौड़ीकरण के नाम पर की गई, और इसे अवैध कब्जा करार दिया गया। मस्जिद का निर्माण 1839 में हुआ था और यह एक ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती थी। मस्जिद को तोड़ने के बाद, इस पर एक कानूनी विवाद पैदा हो गया है, और इस मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई 13 दिसंबर को होने वाली है।

सड़क चौड़ीकरण के लिए मस्जिद पर तोड़फोड़

UP स्थानीय प्रशासन ने मस्जिद के कुछ हिस्सों को अवैध कब्जा बताते हुए तोड़ दिया। उनका कहना था कि सड़क को चौड़ा करने के लिए मस्जिद की भूमि का एक हिस्सा चाहिए था, जो अवैध रूप से कब्जा किया गया था। यह कार्रवाई उस समय हुई जब पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) की ओर से नोटिस जारी किए गए थे। प्रशासन का तर्क था कि इस तोड़फोड़ का उद्देश्य सड़क निर्माण कार्य को पूरा करना था, जिससे यातायात में सुगमता हो सके।

कानूनी विवाद और उच्च न्यायालय में याचिका

मस्जिद को तोड़े जाने के बाद, इस निर्णय को लेकर विवाद शुरू हो गया। मस्जिद प्रशासन और स्थानीय नागरिकों ने इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए कानूनी चुनौती दी। उनकी दलील थी कि मस्जिद ऐतिहासिक धरोहर है, और इसे बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के तोड़ना गलत है। मस्जिद के अधिकारियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें तोड़फोड़ की कार्रवाई को रोकने की अपील की गई है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की है।

ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर

नोूरी जामा मस्जिद का निर्माण 1839 में हुआ था और यह फतेहपुर जिले के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। मस्जिद को स्थानीय समुदाय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व माना जाता है। यह मस्जिद कई सालों से क्षेत्रीय मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रही है। इसके अलावा, इसका ऐतिहासिक महत्व भी है क्योंकि यह ब्रिटिश काल की एक वास्तुकला का उदाहरण है। इसके तोड़े जाने से स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश है।

प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल

इस घटना ने प्रशासन की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लोगों का मानना है कि यदि मस्जिद को तोड़ा गया है, तो अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को क्यों नहीं बचाया गया? प्रशासन की ओर से यह तर्क दिया गया है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए इस स्थान का हिस्सा जरूरी था, लेकिन इसने कई धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को बचाने के उपायों पर सवाल उठाए हैं। साथ ही, कुछ लोग इस कार्रवाई को धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण मानते हैं।

UP : बागपत में तेज रफ्तार कार ने टक्कर मारी, घोड़ा हवा में उछला, वायरल हुआ वीडियो

UP

फतेहपुर में नोूरी जामा मस्जिद के हिस्सों को तोड़े जाने की घटना ने प्रशासन, समुदाय और न्यायपालिका के बीच गंभीर विवाद को जन्म दिया है। जहां एक ओर सड़क चौड़ीकरण की आवश्यकता बताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर मस्जिद के टूटने से जुड़ा कानूनी और सांस्कृतिक विवाद अब उच्च न्यायालय में समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है। इस मामले में न्याय की उम्मीद है, और आगामी सुनवाई से यह साफ होगा कि इस कार्रवाई के बाद क्या कदम उठाए जाएंगे।

Related Articles

Back to top button