AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को विधानसभा टिकट: क्या हत्या करने के बाद भी मिलता है पुरस्कार?
AAP पार्षद ताहिर हुसैन, जो 2020 दिल्ली दंगों में IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या में अपनी संलिप्तता के लिए जेल में हैं,
एक चौंकाने वाली घटना में, पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन, जो 2020 दिल्ली दंगों में IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या में अपनी संलिप्तता के लिए जेल में हैं, को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार के रूप में घोषणा की है। इस फैसले ने राजनीति में पुरस्कारों की प्रणाली पर सवाल उठाया है, खासकर जब यह हिंसक पृष्ठभूमि वाले नेताओं से जुड़ा हो।
अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या
अंकित शर्मा, एक इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) अधिकारी, को फरवरी 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में भड़की हिंसा के दौरान बेरहमी से मारा गया था। उनका शव बेहद भयानक स्थिति में मिला, जिसमें उन्हें भयंकर प्रताड़ना के निशान थे। यह widely believed किया जाता है कि ताहिर हुसैन, जो उस समय AAP के पार्षद थे, ने हिंसा को भड़काने और अंकित शर्मा की हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गवाहों और रिपोर्टों में यह आरोप लगाया गया है कि हुसैन ने उस भीड़ को उकसाया और उसमें भाग लिया जो निर्दोष व्यक्तियों, including अंकित शर्मा, को निशाना बना रही थी।
अंकित शर्मा की मौत ने राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश पैदा किया, और यह दिल्ली में फैल रही हिंसा का प्रतीक बन गई। उनके परिवार ने तब से न्याय की मांग की है, और यह मामला देश की सामूहिक स्मृति में गहरे रूप से अंकित है। ताहिर हुसैन की हत्या में alleged संलिप्तता ने उन्हें सार्वजनिक दृष्टिकोण में बनाए रखा, खासकर तब जब उन्हें गिरफ्तार किया गया और दंगों में उनकी भूमिका के लिए आरोपित किया गया।
ताहिर हुसैन का राजनीतिक करियर
हालाँकि उनके खिलाफ गंभीर आरोप थे, फिर भी ताहिर हुसैन का राजनीतिक करियर उनकी गिरफ्तारी के बाद भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। दंगों के दौरान AAP पार्षद के रूप में उनकी भूमिका और बाद में गिरफ्तारी ने उन्हें पार्टी के साथ सीधा संघर्ष में डाल दिया, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया। लेकिन अब, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया है।
ओवैसी की पार्टी का यह फैसला राजनीतिक हलकों में सनसनी मचाने वाला रहा है। कई लोग इस कदम पर आपत्ति जता रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति, जिस पर कानून प्रवर्तन अधिकारी की हत्या का आरोप है, को विधानसभा टिकट दिया जा रहा है। आलोचकों का कहना है कि यह एक खतरनाक संदेश भेजता है, खासकर उन पीड़ित परिवारों के लिए, जैसे अंकित शर्मा का परिवार, जिन्हें पूरी तरह से न्याय नहीं मिला।
AIMIM का विवादास्पद कदम
ओवैसी का ताहिर हुसैन को विधानसभा टिकट देना भारतीय राजनीति के नैतिकता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। कई लोग इसे हिंसा के समर्थन के रूप में देखते हैं, जहां अपराधियों या जिन्होंने खून बहाया है, उन्हें पुनः शक्ति और प्रभाव प्राप्त करने का मौका दिया जाता है। यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे गहरे अतीत वाले व्यक्तियों को लोकतांत्रिक प्रणाली में सत्ता प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए, या क्या यह केवल विवादास्पद व्यक्तियों से राजनीतिक लाभ उठाने की रणनीति है?
अंकित शर्मा के परिवार और दिल्ली दंगों में जान गंवाने वाले अन्य परिवारों के लिए यह कदम एक अपमान जैसा महसूस हो रहा है। यह उस न्याय और जवाबदेही की अवधारणा को कमजोर करता है, जिसकी आम जनता अपने नेताओं से उम्मीद करती है। हुसैन का उम्मीदवार बनना, भले ही उन्हें एक घिनौनी हत्या में आरोपित किया गया हो, यह सवाल खड़ा करता है कि राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की असली प्राथमिकताएं क्या हैं।
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असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी द्वारा ताहिर हुसैन को विधानसभा टिकट देने की घोषणा ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कई लोग इसे हिंसा के लिए एक disturbing पुरस्कार मानते हैं, खासकर यह देखते हुए कि उनका कथित रूप से IB अधिकारी अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या में हाथ था। यह विवादास्पद निर्णय जवाबदेही, न्याय, और राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाता है। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा एक संवेदनशील और विवादित मुद्दा बना रहेगा।