Tirupati Mandir ने गैर-हिंदू कर्मचारियों को सरकारी विभागों में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव रखा, VRS देने का निर्णय
Tirupati के प्रसिद्ध तिरुमला मंदिर के प्रबंधन बोर्ड, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने 18 नवंबर को एक अहम बैठक आयोजित की, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
Tirupati के प्रसिद्ध तिरुमला मंदिर के प्रबंधन बोर्ड, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने 18 नवंबर को एक अहम बैठक आयोजित की, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इन फैसलों में सबसे प्रमुख था मंदिर बोर्ड के गैर-हिंदू कर्मचारियों के भविष्य को लेकर उठाया गया कदम। TTD के अध्यक्ष BR नायडू ने 19 नवंबर को ANI से बातचीत में बताया कि बोर्ड ने एक प्रस्ताव पास किया है, जिसके तहत मंदिर के गैर-हिंदू कर्मचारियों से Voluntary Retirement Scheme (VRS) लेने का अनुरोध किया जाएगा।
गैर-हिंदू कर्मचारियों की पहचान और VRS का प्रस्ताव
TTD अध्यक्ष BR नायडू ने स्पष्ट किया कि उन्होंने बैठक में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसे बोर्ड के सभी सदस्योंने एकमत से मंजूरी दी। इसके तहत मंदिर के कुछ कर्मचारियों, जो गैर-हिंदू हैं, को VRS लेने का प्रस्ताव दिया जाएगा। नायडू ने कहा, “हमने कुछ गैर-हिंदू कर्मचारियों को पहचाना है। मैंने चाहा कि मैं उन कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से मिलूं और उन्हें VRS लेने के लिए अनुरोध करूं। यदि वे इच्छुक नहीं हैं, तो हम उन्हें अन्य सरकारी विभागों में ट्रांसफर कर सकते हैं या उन्हें किसी अन्य सरकारी निगम या नगरपालिका में डिपुटेशन पर भेज सकते हैं।”
Tirupati मंदिर के कर्मचारियों की धर्मनिष्ठता पर सवाल
इस निर्णय के पीछे मंदिर बोर्ड की यह चिंता थी कि Tirupati जैसे धार्मिक स्थल में काम करने वाले कर्मचारियों की धार्मिक निष्ठा होनी चाहिए, विशेष रूप से जब यह एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है। तिरुपति में लाखों भक्त आते हैं, और यह धार्मिक स्थल हिंदू धर्म के महत्व का प्रतीक है। TTD के इस कदम से यह संदेश दिया जा रहा है कि मंदिर के कर्मचारियों को धार्मिक निष्ठा और धर्म के प्रति सम्मान होना चाहिए, जो मंदिर के प्रमुख कार्यों और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मेल खाता हो।
सरकारी विभागों में डिपुटेशन की संभावना
TTD के अध्यक्ष ने कहा कि अगर VRS लेने का विकल्प कर्मचारी स्वीकार नहीं करते हैं, तो उन्हें अन्य सरकारी विभागों जैसे राजस्व विभाग, नगरपालिका या किसी अन्य सरकारी निगम में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके तहत, कर्मचारियों को Tirupati मंदिर के बजाय राज्य सरकार के अन्य विभागों में काम करने का अवसर मिलेगा। यह कदम विवादित हो सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर कर्मचारियों की व्यक्तिगत और धार्मिक पहचान पर सवाल उठाता है।
Tirupati लड्डू विवाद और धार्मिक संवेदनशीलता
यह कदम तिरुपति लड्डू विवाद के बीच आया है, जब तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) को लेकर कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक विवाद उठे थे। कुछ समय पहले यह चर्चा में था कि तिरुपति लड्डू के वितरण के तरीके और नियमों में बदलाव किया जा सकता है, जिसे लेकर भक्तों और धार्मिक संगठनों द्वारा आपत्ति जताई गई थी। इस संदर्भ में भी मंदिर प्रशासन के फैसले पर विवादों का सामना करना पड़ा था।
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Tirupati तिरुमला देवस्थानम का यह निर्णय न केवल मंदिर प्रशासन के कार्यों में धार्मिक पहचान को लेकर विचारशीलता को दर्शाता है, बल्कि इससे राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन के बीच कर्मचारियों के ट्रांसफर को लेकर भी नए राजनीतिक और धार्मिक सवाल उठ सकते हैं। यह फैसला एक धार्मिक स्थान के प्रबंधन में धर्मनिष्ठता और प्रशासनिक फैसलों के बीच की जटिलताओं को उजागर करता है, और भविष्य में इस पर और भी चर्चा हो सकती है।