COP29 में दिल्ली प्रदूषण पर चिंता: स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी

COP29 (कॉप 29) में पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा के दौरान, दिल्ली और देश के अन्य बड़े शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण का मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया गया।

COP29 (कॉप 29) में पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा के दौरान, दिल्ली और देश के अन्य बड़े शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण का मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया गया। विशेषज्ञों ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर को लेकर चिंता जताई और इसे एक “स्वास्थ्य आपातकाल” घोषित किया। दिल्ली-NCR और भारत के अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के पार पहुंच चुका है, जो जीवन के लिए बेहद हानिकारक है।

दिल्ली का प्रदूषण: स्थिति और कारण

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर साल दर साल बढ़ता जा रहा है। सर्दियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है जब तापमान में गिरावट और हवा की गति कम हो जाती है। मुख्य कारणों में निर्माण कार्य, वाहन प्रदूषण, कृषि जलाने की घटनाएं, और कचरे की जलाने की घटनाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, पड़ोसी राज्यों की औद्योगिक गतिविधियां और धूल की समस्या भी प्रदूषण को बढ़ाती हैं।

दिल्ली में AQI का स्तर कई दिनों तक 500 को पार कर चुका है, जो ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है। ऐसी स्थिति में लोगों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जाती है और खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को घर में ही रहने की चेतावनी दी जाती है।

प्रदूषण और स्वास्थ्य: आपातकाल की स्थिति

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण के कारण श्वसन और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं। लंबी अवधि तक प्रदूषित वायु में सांस लेना कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि फेफड़ों की बीमारी, अस्थमा, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर। जब AQI 500 से ऊपर होता है, तो यह वायु में मौजूद हानिकारक तत्वों के स्तर को दर्शाता है, जो सीधे स्वास्थ्य पर असर डालते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे ‘स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित किया और सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की है। इसके लिए सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त उपाय लागू करने की आवश्यकता है, जैसे कि कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना, और सख्त निर्माण और कृषि जलाने पर प्रतिबंध लगाना।

सरकारी प्रयास और समाधान

दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ कदम उठा रहे हैं। जैसे कि ‘Odd-Even’ योजना, हरित पट्टी योजनाओं का विस्तार, और सर्दियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए विशेष अभियान। हालांकि, इन उपायों का असर सीमित ही दिखता है, क्योंकि समस्या का समाधान केवल स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एकीकृत दृष्टिकोण से ही संभव है।

COP29 और वैश्विक ध्यान

COP29 में प्रदूषण के मुद्दे को वैश्विक मंच पर उठाना जरूरी था, क्योंकि वायु प्रदूषण केवल दिल्ली या भारत की समस्या नहीं है, यह वैश्विक संकट है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण को रोकने के लिए एक साझा वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है, जहां सभी देशों को अपने-अपने स्तर पर जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है।

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COP29 में दिल्ली के प्रदूषण के मुद्दे को उठाने से यह स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण का संकट सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि वैश्विक चुनौती बन चुका है। सरकारों, विशेषज्ञों और नागरिकों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ वायु मिल सके।

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