DevUthani Ekadashi 2024: दिव्यता जगाने का समय

DevUthani एकादशी, जिसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है।

क्या है DevUthani एकादशी का महत्व?

DevUthani एकादशी, जिसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान श्रीविष्णु के योग निद्रा से जागने के दिन के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीविष्णु चार मास तक योगनिद्रा में रहते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन वे जागकर संसार के कार्यों का संचालन शुरू करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन श्रीविष्णु की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

व्रत और पूजा का महत्व

DevUthani एकादशी पर किए गए व्रत और पूजा विशेष रूप से फलदायक माने जाते हैं। इस दिन उपवासी रहकर भगवान श्रीविष्णु की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे श्रीविष्णु की कृपा प्राप्त होती है। भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। इस दिन भगवान श्रीविष्णु के साथ-साथ माता तुलसी की भी पूजा की जाती है, जो श्रीविष्णु के प्रिय हैं। तुलसी के पौधे की पूजा और तुलसी दल अर्पण से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

धन, ऐश्वर्य और आयुष्य का रहस्य

DevUthani एकादशी का यह भी संदेश है कि इस दिन भगवान श्रीविष्णु की पूजा से संसार की समस्त विभूतियां, जैसे धन, ऐश्वर्य, आयुष्य आदि, प्राप्त की जा सकती हैं, लेकिन ये सभी चीजें केवल धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने से ही सही मायनों में फलित होती हैं। भगवान श्रीविष्णु के साथ-साथ मां तुलसी का पूजन और व्रत करना जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह यह भी दर्शाता है कि सत्य और धर्म ही जीवन के मूलाधार हैं। केवल इन्हीं के आधार पर व्यक्ति को संसार की सुख-संपत्ति और सुख-समृद्धि का लाभ मिलता है।

विचारों का जीवन पर प्रभाव

DevUthani एकादशी का एक गहरा संदेश यह भी है कि जीवन में विचारों का अत्यधिक महत्व है। अगर हमारे विचार शुद्ध, सकारात्मक और पवित्र होंगे तो जीवन में दिशा और दृष्टि भी सही होगी। यह समय है अपने विचारों को शुद्ध करने का, क्योंकि विचारों में अद्वितीय सामर्थ्य होता है। जब हम नकारात्मक और अशुद्ध विचारों को त्याग कर सकारात्मक और शुद्ध विचारों को अपनाते हैं, तो हमारे जीवन में सुधार होता है। देवउठनी एकादशी हमें यह सिखाती है कि हमारे विचारों से ही हमारी दुनिया बनती है।

जीवन रूपांतरण की दिशा

DevUthani एकादशी हमें जीवन के रूपांतरण की दिशा दिखाती है। यह समय है आत्मावलोकन का, अपने भीतर की शांति और शक्ति को महसूस करने का। भगवान श्रीविष्णु की पूजा और व्रत के माध्यम से हम अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं और अपने जीवन में सुधार लाने के लिए सही दिशा अपनाते हैं। इस दिन का महत्व केवल धार्मिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक, आत्मिक और शारीरिक रूप से भी है। शुद्ध विचार, सत्य, और धर्म के रास्ते पर चलने से जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है।

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DevUthani एकादशी का दिन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक अवसर भी है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से न केवल भगवान श्रीविष्णु की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि यह हमारे विचारों को शुद्ध करने और जीवन को एक नई दिशा देने का माध्यम बनता है। इस दिन हमें यह समझना चाहिए कि जीवन की सच्ची समृद्धि और सुख शुद्ध विचारों, सत्य और धर्म के पालन में है।

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