WAQF पैनल प्रमुख कर्नाटका पहुंचे, भाजपा का अतिक्रमण नोटिसों पर बढ़ा विरोध
WAQF संशोधन विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कर्नाटका का दौरा किया, जहां वह उन किसानों से मिले जो वक्फ बोर्ड द्वारा जारी 'अतिक्रमण' नोटिसों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
WAQF संशोधन विधेयक पर राजनीति: जगदंबिका पाल की कर्नाटका यात्रा और भाजपा की प्रतिक्रिया
गुरुवार को WAQF संशोधन विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कर्नाटका का दौरा किया, जहां वह उन किसानों से मिले जो वक्फ बोर्ड द्वारा जारी ‘अतिक्रमण’ नोटिसों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इन नोटिसों को बाद में वापस ले लिया गया था, लेकिन विरोध की लहर जारी रही।
कर्नाटका दौरे का उद्देश्य
जगदंबिका पाल ने अपनी कर्नाटका यात्रा के दौरान किसानों से मुलाकात की, जो वक्फ संपत्तियों पर कथित रूप से अतिक्रमण के आरोपों का सामना कर रहे थे। भाजपा नेता और सांसद तेजस्वी सूर्या ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” पर यह जानकारी दी कि जगदंबिका पाल ने हबली और बीजापुर में किसानों से बातचीत करने के लिए यात्रा की। उन्होंने यह भी कहा कि वह 7 नवंबर को इन दोनों शहरों में किसानों से मुलाकात करेंगे।
पाल ने यह भी कहा कि वक्फ पैनल अपने रिपोर्ट को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में पेश करने के लिए अपनी निर्धारित समयसीमा को पूरा करेगा। संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होगा।
WAQF नोटिसों का विवाद
कर्नाटका के विजयपुरा जिले में 10 अक्टूबर को आयोजित वक्फ अदालत की सुनवाई के बाद, कर्नाटका राज्य WAQF बोर्ड ने 124 नोटिस जारी किए थे, जिनमें 433 व्यक्तियों को वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया था। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया और आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड ने किसानों की खेती वाली 1,200 एकड़ भूमि पर दावा किया है।
भा.ज.पा. नेता बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने इसे “तानाशाही” कदम बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार किसानों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वक्फ संपत्तियों को राष्ट्रीयकृत किया जाए, ताकि देशभर में हो रहे ऐसे अतिक्रमणों को रोका जा सके।
वक्फ संशोधन विधेयक का राजनीतिक संदर्भ
WAQF संशोधन विधेयक 2024, जिसे वक्फ एक्ट, 1995 में बदलाव के लिए प्रस्तुत किया गया है, ने देशभर में राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। इस विधेयक में कुछ बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें वक्फ संपत्तियों की निगरानी में सरकार की अधिक भूमिका और वक्फ बोर्डों के पुनर्गठन की बात की गई है। विपक्षी दलों ने इन संशोधनों को “असंवैधानिक” करार दिया है, और आरोप लगाया है कि यह विधेयक मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों पर सरकार का अत्यधिक नियंत्रण स्थापित करेगा।
संसदीय समिति में विरोध
विधेयक पर चर्चा करते समय संसद की संयुक्त समिति में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि समिति में उन व्यक्तियों को सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है, जो इस मुद्दे से सीधे तौर पर संबंधित नहीं हैं। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं को जानबूझकर कठिन सवालों से बचाने के लिए समिति के काम में व्यवधान डाला जा रहा है। वहीं, भाजपा नेताओं ने इसे विपक्षी दलों द्वारा जानबूझकर असहमति उत्पन्न करने की कोशिश बताया है।
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कर्नाटका में WAQF संपत्तियों पर विवाद और वक्फ संशोधन विधेयक दोनों ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे बने हुए हैं। जगदंबिका पाल की कर्नाटका यात्रा और इस मुद्दे पर भाजपा द्वारा उठाए गए आरोप, यह संकेत देते हैं कि आगामी संसद सत्र और राज्य में होने वाले राजनीतिक घटनाक्रमों में यह मुद्दा प्रमुख रहेगा।