Chhath Puja 2024: नहाय-खाय का महत्व

Chhath Puja जिसे मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है, सूर्य देवता और छठी मइया की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है।

Chhath Puja का संक्षिप्त परिचय

Chhath Puja, जिसे मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है, सूर्य देवता और छठी मइया की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें नहाय-खाय पहले दिन का विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्रद्धालु सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की पूजा करते हैं, और इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं।

नहाय-खाय का महत्व

नहाय-खाय, Chhath Puja का पहला दिन है, जो इस पर्व की शुरुआत को दर्शाता है। इस दिन श्रद्धालु विशेष स्नान करते हैं और शुद्धता के साथ व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन का नाम ‘नहाय-खाय’ इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन श्रद्धालु केवल शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं, जो उन्हें ऊर्जा और बल प्रदान करता है।

शुद्धता का महत्व

नहाय-खाय का उद्देश्य सिर्फ आहार लेना नहीं है, बल्कि यह शुद्धता और पवित्रता की ओर संकेत करता है। इस दिन व्रति विशेष रूप से कद्दू, अरबी, चूड़ा और गुड़ का सेवन करती हैं। यह आहार न केवल साधारण होता है, बल्कि इसे पवित्रता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन के भोजन का महत्व इस बात में है कि यह श्रद्धालुओं को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करता है, ताकि वे अगले दिनों की कठिन साधना के लिए खुद को तैयार कर सकें।

धार्मिक मान्यता

धार्मिक दृष्टि से, नहाय-खाय का दिन एक विशेष Chhath Puja का अवसर होता है। इस दिन श्रद्धालु अपने परिवार के साथ एकत्रित होते हैं, और एक साथ मिलकर पवित्र आहार का सेवन करते हैं। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जो इस पर्व को और भी खास बनाता है। इस दिन की शुरुआत से ही छठ पूजा का आधिकारिक आरंभ होता है, और इसे एक गंभीरता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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Chhath Puja का नहाय-खाय केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एक गहन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है। यह दिन श्रद्धालुओं को शुद्धता, एकता और आस्था का संदेश देता है। इस दिन की पूजा और आहार का महत्व आगे आने वाले दिनों की साधना के लिए आधार बनाता है। छठ पूजा का यह विशेष दिन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह परिवारों को एकजुट करने का भी एक अवसर है। इस प्रकार, नहाय-खाय का महत्व इस पर्व की आत्मा को जीवंत करता है।

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