“CJI: ‘PM और CM मेरे घर आते हैं, लेकिन…'”
CJI चंद्रचूड़ ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में स्पष्ट किया कि राजनीति में शीर्ष पदों पर बैठे लोग सामाजिक अवसरों पर न्यायाधीशों के घर जाते हैं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ का बयान: गणपति पूजा विवाद पर पहली बार बोले
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पर गणपति पूजा के दौरान हुई मुलाकात के बाद उठे विवाद पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने इस विवाद को अनावश्यक और अनुचित करार दिया और स्पष्ट किया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अडिग है।
विवाद का पृष्ठभूमि
गणपति पूजा के अवसर पर पीएम मोदी के घर पर हुई इस बैठक को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ था। कई लोगों ने इसे न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की सीमाओं का उल्लंघन मानते हुए आलोचना की थी। इस विवाद के कारण मुख्य न्यायाधीश पर सवाल उठाए गए कि क्या यह बैठक न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है।
सीजेआई का स्पष्टता
CJI चंद्रचूड़ ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में स्पष्ट किया कि राजनीति में शीर्ष पदों पर बैठे लोग सामाजिक अवसरों पर न्यायाधीशों के घर जाते हैं, लेकिन इन बैठकों का न्यायिक मामलों पर कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा, “जैसा कि मैं जानता हूं, न्यायाधीशों के साथ उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और उनके बच्चों की शादी या त्योहारों पर कई बड़े राजनीतिक लोग मिलते हैं। लेकिन मैं एक भी ऐसा अवसर नहीं बता सकता जब किसी न्यायिक मामले पर चर्चा की गई हो।”
न्यायपालिका की स्वतंत्रता
CJI ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्रता इतनी गहरी है कि न्यायिक मामलों पर चर्चा करना न्यायपालिका के सिद्धांतों के खिलाफ है। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच स्पष्ट सीमाएँ होनी चाहिए, और इस सीमांकन को बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
सामाजिक अवसरों की भूमिका
CJI चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सामाजिक अवसरों पर मिलने-जुलने का कोई गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। यह सामान्य सामाजिक गतिविधियों का हिस्सा है, और इसे राजनीति या न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा नहीं मानना चाहिए।
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मुख्य न्यायाधीश का यह बयान न केवल विवाद को स्पष्ट करने में सहायक है, बल्कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उसके प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। समाज में न्यायपालिका की भूमिका और उसकी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम राजनीतिक और सामाजिक अवसरों के बीच की सीमाओं को समझें और उनका सम्मान करें। CJI का यह बयान न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।