Chattisgarh :हसदेव जंगल की रक्षा में आदिवासियों पर हमला: चुप्पी का साम्राज्य

Chattisgarh के हसदेव जंगल में आदिवासी लोग अपने अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में बड़ी कंपनियों, विशेषकर गौतम अदानी की कंपनी

Chattisgarh संघर्ष का पृष्ठभूमि

Chattisgarh के हसदेव जंगल में आदिवासी लोग अपने अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में बड़ी कंपनियों, विशेषकर गौतम अदानी की कंपनी, के द्वारा खनन और औद्योगिक विकास की गतिविधियों से जंगल और स्थानीय समुदाय पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आदिवासी लोग इस स्थिति के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन उनकी इस आवाज को दबाने के लिए विभिन्न प्रकार के हमले किए जा रहे हैं।

Chattisgarh जानलेवा हमले की घटनाएं

हाल ही में खबर आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अदानी के इशारे पर आदिवासी लोगों पर जानलेवा हमले हुए हैं। यह हमले न केवल उनके जीवन के लिए खतरा बन गए हैं, बल्कि उनके अधिकारों और अस्तित्व को भी चुनौती दे रहे हैं। आदिवासियों की जमीन और जंगल की रक्षा के लिए संघर्ष में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन ऐसे हमलों से उनकी हिम्मत को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

मीडिया की चुप्पी

इस गंभीर मामले पर मीडिया की चुप्पी भी काफी चिंताजनक है। न तो इस विषय पर कोई गंभीर बहस हो रही है, न ही इसे प्रमुखता से उठाया जा रहा है। यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे बड़े कॉर्पोरेट और राजनीतिक हितों के सामने आम लोगों की आवाज़ दबाई जा रही है। मीडिया की यह चुप्पी इस बात का संकेत है कि आदिवासी समुदाय के मुद्दे समाज में किस प्रकार उपेक्षित हैं।

नैतिक जिम्मेदारी

इस प्रकार की घटनाएं न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह समाज के लिए भी एक बड़े प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं। क्या हम सच में एक सभ्य समाज हैं, यदि हम अपने ही लोगों की रक्षा नहीं कर सकते? यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम इन मुद्दों पर ध्यान दें और आदिवासी लोगों की आवाज़ को उठाने में उनकी सहायता करें।

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Chattisgarhहसदेव जंगल में आदिवासियों के खिलाफ होने वाले हमले और मीडिया की चुप्पी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि समाज में असमानताएँ और अन्याय बढ़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम इस मुद्दे को उठाएं और आदिवासी समुदाय की रक्षा के लिए एकजुट हों। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी आवाज़ को सुना जाए और उनकी रक्षा की जाए।

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