Mithun Chakraborty ‘नक्सली’ थे, ‘साजिश’ से डिस्को डांसर

Mithun Chakraborty हिंदी सिनेमा का एक ऐसा सितारा हैं, जिनका करियर संघर्ष और संकल्प का प्रतीक रहा है। रंग के कारण रिजेक्ट होना, साजिशों का शिकार होना, लेकिन कभी हार न मानना—इन्हीं खासियतों ने उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दिलाई।

मिथुन चक्रवर्ती: संघर्ष और सफलता की कहानी

नई दिल्ली। मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) हिंदी सिनेमा का एक ऐसा सितारा हैं, जिनका करियर संघर्ष और संकल्प का प्रतीक रहा है। रंग के कारण रिजेक्ट होना, साजिशों का शिकार होना, लेकिन कभी हार न मानना—इन्हीं खासियतों ने उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दिलाई।

प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत

Mithun Chakraborty का जन्म 16 जून 1950 को कोलकाता में हुआ। उन्होंने 1976 में फिल्म “मृगया” से बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन उनके इस सफर में कई बाधाएँ आईं। मिथुन ने एक समय नक्सल ग्रुप का हिस्सा बनने का भी खुलासा किया है, जो उनके लिए एक बड़ा विवाद बना रहा।

नक्सल जीवन का प्रभाव

एक पुराने इंटरव्यू में, मिथुन ने नक्सल आंदोलन में अपनी भागीदारी के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “इंडस्ट्री और बाहर के लोग कलकत्ता में नक्सली आंदोलन में मेरे शामिल होने और चारु मजूमदार के साथ मेरे करीबी संबंधों के बारे में जानते थे।” उनके नक्सली लेबल ने इंडस्ट्री में उनकी पहचान को प्रभावित किया।

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संघर्ष का दौर

मिथुन ने बताया कि कैसे इस लेबल के चलते उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने पुणे के FTII में पढ़ाई की और बाद में 1970 के दशक के अंत में बॉम्बे आए। लेकिन नक्सली होने का लेबल उनके साथ हमेशा रहा, जो उनके लिए एक भारी बोझ था।

सफलता की कहानी

हालांकि, मिथुन ने सभी बाधाओं को पार करते हुए खुद को साबित किया। उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया और दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। उनके अभिनय ने उन्हें न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक आइकन के रूप में स्थापित किया।

मिथुन चक्रवर्ती की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिनाइयों का सामना करके भी सफलता हासिल की जा सकती है। उनके जीवन की यह यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे किसी भी परिस्थिति में धैर्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। आज, वह एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने हैं।

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