“Arunachal Pradesh की चोटी को Dalai Lama का नाम देने पर बौखलाया चीन”

Arunachal Pradesh में 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (NIMAS) की एक टीम ने हाल ही में Arunachal Pradesh में 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। इस उपलब्धि के बाद, टीम ने इस पर्वत को छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का निर्णय लिया।

यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म Arunachal Pradesh में हुआ था, और यह नामकरण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

हालांकि, इस निर्णय से चीन की प्रतिक्रिया काफी तीखी रही है। चीन ने एक बार फिर Arunachal Pradesh को अपना इलाका बताने की कोशिश की है। चीनी अधिकारियों ने भारत के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया। चीन का यह दावा ऐतिहासिक और भू-राजनीतिक रूप से जटिल मुद्दों से जुड़ा हुआ है, जिसमें वह भारतीय प्रदेशों को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है।

NIMAS की इस चढ़ाई और नामकरण के फैसले ने भारत-चीन संबंधों में एक नई बहस को जन्म दिया है। चीनी मीडिया में इस घटना को लेकर कई समाचार रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं, जिनमें भारत की मंशा को लेकर सवाल उठाए गए हैं। चीन के साथ सीमावर्ती विवादों के कारण, यह स्थिति भारत के लिए संवेदनशील बनी हुई है।

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NIMAS, जो कि रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, ने यह चढ़ाई 2023 में की थी। टीम ने पर्वतारोहण के दौरान न केवल चुनौतियों का सामना किया, बल्कि तकनीकी और साहसिक दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्रीय विवाद और राजनीतिक असहमति केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नामकरण भी इन विवादों का एक हिस्सा बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं भारत और चीन के बीच की जटिलता को और बढ़ा सकती हैं।

भारत की ओर से इस चोटी का नामकरण एक सांस्कृतिक सम्मान है, जबकि चीन की प्रतिक्रिया इसे क्षेत्रीय विवादों की परिप्रेक्ष्य में देखती है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देशों के बीच यह स्थिति कैसे विकसित होती है और क्या कोई राजनयिक समाधान निकलता है।

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