Vinayaka Chaturthi 2024: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि इस बारे में जानें

आषाढ़ मास के विनायक चतुर्थी 2024: तिथि, व्रत और महत्व्

**राष्ट्रीय समाचार डेस्क, नई दिल्ली: आषाढ़ मास के विनायक चतुर्थी का महत्व**

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भारतीय संस्कृति में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व है। इस दिन को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, जब श्रद्धालुओं द्वारा गणपति बाप्पा की विशेष पूजा की जाती है। यह पर्व विभिन्न रूपों में देशभर में मनाया जाता है, जहां लोग गणेश जी के मंदिरों में जाकर उनकी आराधना करते हैं और उनके वरदान की प्रार्थना करते हैं।

इस विशेष दिन पर चंद्रमा को देखने की मान्यता होने के बावजूद, लोग चंद्र दर्शन से बचने की कोशिश करते हैं। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति को कलंक का सामना करना पड़ता है, जिसलिए इस दिन को चंद्र दर्शन से मुक्त रहने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।

इस पावन अवसर पर समाज में आत्मीयता और उत्साह का माहौल होता है। लोग इस दिन को पूरी श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं और गणेश जी के आशीर्वाद की कामना करते हैं। इसके साथ ही, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं जो इस धार्मिक उत्सव को और भी अद्वितीय बनाते हैं।

इस विशेष पर्व के माध्यम से, हम सभी गणेश चतुर्थी को ध्यान में रखते हैं और उसकी शक्ति और कृपा का आभास करते हैं, जो हमें जीवन के हर कठिनाई से पार करने में सहायक होती है।

**आषाढ़ विनायक चतुर्थी 2024: पूजा विधि और महत्व**

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, जिसे विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, इस साल 9 जुलाई को पड़ रही है। इस विशेष दिन पर भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है, जो सभी विघ्नों को दूर करने और मंगल की प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।

**पूजा विधि:**
1. **स्नान और साफ वस्त्र:** सुबह उठकर पवित्र स्नान करें और साफ सुत्री वस्त्र पहनें।

2. **पूजा स्थल की सजावट:** एक साफ चौकी को साफ करें और उसपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल से अभिषेक करें और सिंदूर का तिलक लगाएं।

3. **पुष्पांजलि और दुर्वा:** गेंदे की माला और दुर्वा की माला को भगवान के चरणों में अर्पित करें।

4. **भोग लगाना:** मोदक और अन्य पसंदीदा विशेष आहार भगवान को भोग लगाएं।

5. **दीपाराधना:** देसी घी के दीपक को जलाएं और भगवान गणेश के वैदिक मंत्रों का जाप करें।

6. **व्रत कथा का पाठ और आरती:** संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा का पाठ करें और अन्त में भगवान की आरती उतारें।

इस दिन को विशेष ध्यान में रखते हुए, आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए भगवान गणेश की कृपा की प्रार्थना कर सकते हैं। यह पूजा विधि और अनुष्ठान, आपको इस पावन अवसर पर आनंद और शांति का अनुभव करने में मदद करेगा।

**भगवान गणेश पूजन मंत्र:**

1. **ॐ गं गणपतये नमः**

(Om Gam Ganapataye Namah)

– **अर्थ:** हे गणपति देवता, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।

2. **वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ**
**निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥**

(Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarvakaryeshu Sarvada)

– **अर्थ:** हे वक्रतुण्ड (वक्र = विकृत, तुण्ड = मस्तक) महाकाय (विशाल शरीर), जो सूर्य के लाखों प्रकाशों से युक्त हैं। हे देव, मेरे सभी कार्यों में हमेशा समस्याओं को दूर करो।

3. **ॐ गजाननाय विद्महे**
**वक्रतुण्डाय धीमहि**
**तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥**

(Om Gajananaya Vidmahe
Vakratundaya Dhimahi
Tanno Danti Prachodayat)

– **अर्थ:** हम उस विश्वरूपी गजानन को जानते हैं, जिनका मस्तक विकृत है। हम उस देवता की ध्यान करते हैं और उसी से प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

4. **विघ्नहरण गणाधिश**
**सर्वारिष्ट विनाशन**
**सर्वास्त्र विघ्नं निवारय**
**सर्वायुष्यं वर्धय**

(Vighnaharan Ganadhish
Sarvaarista Vinashan
Sarvastra Vighnam Nivaray
Sarvayushyam Vardhay)

– **अर्थ:** हे विघ्नहर्ता, गणाधिश (गणेश), सभी अनिष्टों को नष्ट करने वाले, सभी वस्त्रों के विघ्न को हटाने वाले, सभी आयु को वृद्धि देने वाले हो।

5. **श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ**
**निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥**

(Shri Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarvakaryeshu Sarvada)

– **अर्थ:** हे श्री वक्रतुण्ड, विशाल शरीर वाले, सूर्य के लाखों प्रकाशों से समान प्रकाशवाले, हे देव, मेरे सभी कार्यों में हमेशा समस्याओं को दूर करो।

ये मंत्र आपको भगवान गणेश की पूजा में सहायक होंगे और आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति में मददगार साबित होंगे।

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