बिहार में पुलों का कब्रिस्तान: 24 घंटे में 5, 15 दिन में 11 गिरे, अंग्रेजों से लेकर नए नवेले तक हुए धराशायी
सीवान और छपरा में पांच पुल और पुलिया टूटने से पहले ही पिछले दो सप्ताह में अररिया, सीवान, मोतिहारी, किशनगंज और मधुबनी में कुल 6 पुल और पुलिया ध्वस्त हो चुके हैं।
बिहार में पुलों के ढहने की चिंताजनक स्थिति बनी हुई है, जिसका सिलसिला बढ़ता जा रहा है। बिहार के विभिन्न जिलों में पिछले 15 दिनों में 11 पुलों का ढहना सामने आया है। यहां तक कि कुछ पुल अंग्रेजों के शासकीय काल से बचाव की हद तक खड़े थे, लेकिन अब वे नदी के जलस्तर बढ़ने और ढह गए हैं।
सीवान जिले में तीन पुलों के ढहने की खबर सबसे पहले आयी। महाराजगंज अनुमंडल के देवरिया गाँव में एक पुल का पिलर धंस गया और पुल टूट गया, जो 40 साल पुराना था। तेवता पंचायत में एक और पुल बनाए गए 5 साल पहले टूट गया। धम्ही गाँव में भी नदी के जल बहाव से पुल टूट गया।
सारण जिले में भी दो पुलों का ढहना रिपोर्ट हुई है। छपरा में गंडक नदी पर स्थित एक पुल जो 100 साल पुराना था, वह टूट गया। इसी इलाके में एक और पुल भी ढह गया, जो अंग्रेजों के जमाने से खड़ा था।
इन पुलों के ढहने की घटनाओं ने विपक्ष को मौका दिया है सरकार पर हमला करने के लिए। तेजस्वी यादव ने सरकार को निशाने पर लिया है और इसे “सुशासनी नेकचलनी” का उदाहरण दिया है।
बता दें कि 18 जून से बिहार में लगातार पुलों के टूटने की खबरें आ रही हैं। 18 जून को अररिया में बकरा नदी पर निर्माणाधीन पुल ढह गया था, तो 22 जून को सीवान में गंडक नदी पर बना पुल गिर गया। 23 जून को पूर्वी चंपारण में निर्माणाधीन पुल गिया, तो 27 जून को बिहार के किशनगंज में कंकाई और महानंदा नदी को जोड़ने वाली एक छोटी सहायक नदी पर बन रहा पुल ध्वस्त हो गया। इसी दिन मधुबनी जिले में भी एक पुल टूटा तो 30 जून को भी किशनगंज में एक पुल ढह गया था।