बाबा भोले की सुरक्षा में तैनात महिला और पुरुष पहनते थे खास ड्रेस

बाबा भोले का उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक विशाल आश्रम है, जहां बड़ी संख्या में उनके भक्त और सेवादार रहते हैं। बाबा ने अपनी सुरक्षा के लिए पर्सनल गार्ड नियुक्त किए हुए हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं।

यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ के बाद बाबा भोले साकार हरि सुर्खियों में आ गए हैं। घटना के बाद से बाबा भोले अंडरग्राउंड हो गए हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। बाबा भोले पश्चिमी यूपी में अत्यधिक प्रसिद्ध हैं और उनके लाखों भक्त और अनुयायी हैं। उनके सत्संग में भारी भीड़ उमड़ती है। बाबा ने अपनी सुरक्षा के लिए महिला और पुरुष गार्डों की एक टीम बनाई थी, जिसे उन्होंने ‘नारायणी सेना’ का नाम दिया है।

बाबा भोले का आश्रम और सुरक्षा व्यवस्था

बाबा भोले का उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक विशाल आश्रम है, जहां बड़ी संख्या में उनके भक्त और सेवादार रहते हैं। बाबा ने अपनी सुरक्षा के लिए पर्सनल गार्ड नियुक्त किए हुए हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं। इन सुरक्षाकर्मियों को ‘नारायणी सेना’ कहा जाता है और उनकी वेशभूषा विशेष प्रकार की होती है, जिससे वे दूर से पहचान में आते हैं।

नारायणी सेना की भूमिका

बाबा भोले के ये विशेष सुरक्षाकर्मी या नारायणी सेना आश्रम से लेकर प्रवचन स्थल तक बाबा की सेवा में लगे रहते हैं। सभी का एक जैसा ड्रेस कोड होता है। बाबा ने अपने सेवादारों को ही अपनी सुरक्षा में नियुक्त कर रखा था। साथ ही जहां भी उनका सत्संग होता था, उसकी सारी व्यवस्था भी बाबा के सेवादार ही संभालते थे।

सत्संग की तैयारियां

बाबा भोले का काफिला चलता था तो उनके निजी गार्ड कमांडो की तरह आगे चलते थे। उनकी ड्रेस काले रंग की होती थी और वे सिर पर काले रंग का साफा बांधते थे। बाबा का रुतबा ऐसा था कि बड़े-बड़े लोग भी उनके सत्संग में शामिल होते थे।

सत्संग के आयोजन से तीन-चार दिन पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती थीं। बाबा भोले के सेवादार गुलाबी और पीले रंग के कपड़े पहनते थे और इन्हीं पर पंडाल से लेकर सड़क तक पूरे आयोजन की जिम्मेदारी होती थी। सत्संग कार्यक्रम के आसपास की सारी व्यवस्था भी इन्हीं के ऊपर होती थी। बाबा के लिए मंच तक जाने के लिए अलग से रास्ता बनाया जाता था, जहां किसी और को जाने की अनुमति नहीं होती थी।

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