नितिन गड़करी के नागपुर से ग्राउंड रिपोर्ट , पढ़े कौन मारेगा बाज़ी
हाईवे मैन ऑफ इंडिया का राजनीतिक कैरियर और विरासत
नागपुर:
देश में लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है। सभी राजनैतिक पार्टियां ने अपनी कमर कस ली हैं। ऐसे में अगर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के मुख्य शहर नागपुर की बात करें तो यहां दिलचस्प मुकाबला है।
राजनीतिक परिदृश्य से देखे तो नागपुर शहर का अपना अलग इतिहास है।इस सीट काफी समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है, लेकिन 2014 के बाद से सियासी समीकरण बदल गए।1952-57 में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी।तब यहां से अनसूयाबाई काले पहली बार सांसद निर्वाचित हुईं थीं।1962 में कांग्रेस के पूर्व नेता माधव श्रीहरि अणे ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और जीत हासिल हुई। हालांकि, इसके बाद फिर से यह सी कांग्रेस के कब्जे में चली गई।1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार अपना खाता खोला और बनवारीलाल पुरोहित सांसद निर्वाचित हुए।बनवारीलाल पुरोहित वही नेता रहे जो आगे चलकर कई राज्यों के राज्यपाल भी नियुक्त हुए।
1998 से 2004 तक यह सीट एक बार फिर से कांग्रेस के कब्जे में चली गई और विलास मुत्तेमवार लगातार चार बार सांसद चुने गए।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से नितिन गडकरी को मैदान में उतारा। नागपुर नितिन गडकरी गृह जिला भी है। गडकरी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता विलास मुत्तेमवार को 2,84,828 वोटों से पराजित किया।गडकरी को 587767 वोट मिले थे। 2019 के चुनाव बीजेपी ने यहां से एक बार नितिन गडकरी को टिकट दिया और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार नानाभाई फाल्गुन राव पटोले को मात देते हुए जीत हासिल की।
चलिए नागपुर चुनाव को देखते हुए कि आखिर नागपुर की जनता क्या कहती है। इसी हाल और खबर को लेकर हम पहुंचे चाय की दुकानों पर कहते हैं की ,भारत की राजनीति को समझना है चाय की दुकानों से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता।
नागपुर लोकसभा क्षेत्र जिसमें कुल 6 विधानसभाएं हैं इन सब की पड़ताल के लिए हम पहुंचे नागपुर।
देवेंद्र फड़नवीस की विधानसभा नागपुर साउथ वेस्ट भी इसी लोकसभा में आती है ।
नितिन गडकरी के लिए वोटर का मूड
न्यूज़ नशा की टीम जब (नागपुर साउथ) के रहने वाले विवेक से बात की गई तो उनका कहना है कि नितिन गडकरी बहुत ही अच्छे नेता हैं ।उन्होंने नागपुर में बहुत ही अच्छा काम किया है ।
साथ में राघव उनके सहयोगी कहते हैं कि नागपुर में बहुत कुछ बदल गया है बेहतर रोड बेहतर पर्यावरण यह सब नितिन गडकरी की ही देन है। हम लोग बहुत खुश हैं अब तो कांग्रेस वाले भी नितिन गडकरी की सराहना करते हैं ।थोड़ी दूर बढ़ाने के बाद ( कामठी) के रवि रंजन का कहना है अगर मेरा वोटर आईडी कार्ड बन गया तो वोट डालने जरूर जाऊंगा। 10 सालों में जो भी विकास हुआ है वह नितिन गडकरी जी ने किया है हमारे घर के बुजुर्गों ने कहा है बहुत ही अच्छे व्यक्तित्व के व्यक्ति हैं।
वही विधानसभा( हिंगना) की निकिता कहती हैं मैं वोट डालने जाऊंगी नितिन गडकरी का मैंने बहुत नाम सुना है वह टिपिकल मराठी हैं, मुझे गर्व है और वह रेसिपी अच्छी बताते हैं।
(नागपुर ईस्ट) के रहने वाले रघु का कहना है वह काम बहुत शानदार करते हैं वह स्थिर विकास करते हैं उनके सारे काम टिकाऊ रहते हैं पर्यावरण में अच्छा काम किया है जो भी पैसा आता है।
नितिन गडकरी लगातार दो बार से सांसद, लगातार जीते बड़े अंतर से
वह सही से पैसे काम में लगाते हैं और विकास करते हैं
(रामटेक) विधानसभा के रहने वाले राघवेंद्र का कहना है रोड डेवलपमेंट के बारे में नितिन गडकरी बहुत ही अलग सोच रखते हैं उन्होंने फ्यूल टेक्नोलॉजी से लेकर पर्यावरण में बेहद काम किया है एक बार मैं उनके घर जाकर मिला हूं ।वह बड़े आराम से सब से मिलते हैं एक दिन तो मैंने उनको दो पहिया वाहन से जाते हुए भी देखा है वह एक डाउन टू अर्थ नेता के तौर पर हैं लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं।
वही एक चाय की दुकान पर (काटोल) विधानसभा के रामानुज जो अपने परिवार के साथ चाय की चुस्कियां ले रहे थे तो उन्होंने कहा नहीं नितिन गडकरी बहुत ही अच्छे नेता हैं। उनके परिवार की रहने वाली भतीजी का कहना है कि नितिन गडकरी बहुत ही अच्छे नेता हैं और उन्हें ही इस बार भी आना चाहिए।
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक नागपुर में स्थानीय कांग्रेस नेता अक्सर आपस में भिड़ते रहते हैं जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होता है। महाराष्ट्र में बुलडोजर मिनिस्टर के नाम से मशहूर रहे गडकरी की छवि एक विकास पुरुष’ की है। उन्होंने नागपुर के विकास के लिए काफी काम किया है। इन दोनों से निपटना पटोले के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
लेकिन इसके पीछे एक सच और भी है नितिन गडकरी को नागपुर की जनता ने अपना नेता चुन लिया है क्योंकि शायद विकास का वह मापदंड जिसको नितिन गडकरी ने पूरा किया वहां की आवाम में बस एक ही नारा है नितिन गडकरी हमारा है।नागपुर लोकसभा सीट पर ओबीसी, एससी और मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व है। इस सीट पर कुल 80 फीसदी मतदाता ओबीसी, एससी और मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उधर, गडकरी जाति से ब्राह्मण हैं।
जातिगत समीकरण में फिट नहीं होने के बाद भी गडकरी कांग्रेस में आपसी मतभेद और अपनी विकासवादी छवि के कारण विदर्भ क्षेत्र की इस सबसे महत्वपूर्ण सीट पर जीत हासिल कर ले गए हैं।