दिल्ली में लग सकता है राष्ट्रपति शासन, “क्या अरविंद केजरीवाल जेल से चला पाएंगे सरकार “क्या कहता है नियम?

क्या होता है जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाता है?

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके सभी मंत्री भले ही बार बार यह कहते रहे हों कि जेल से ही सरकार चलाएंगे, लेकिन ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

★देश के प्रति संविधान की कटिबद्धता ★

संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक,  कभी ऐसा कोई उदाहरण देखने को नहीं मिला है, जब किसी ने जेल से सरकार चलाई हो। कहा जा रहा है कि यदि केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। केजरीवाल के लिए जेल नियमावली में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।किसी नेता ने नहीं चलाई जेल से सरकार राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण का कहना है कि केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है।

ऐसे में यदि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है तो यह सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं। इसे लेकर संवैधानिक नियम-कायदे जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि, अब तक के इतिहास में ऐसा कई मामला सामने नहीं आया है।

 

जब किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो।देश का कानून बहुत स्पष्ट है – राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है जब कोई अन्य विकल्प न हो। अनुच्छेद 356 का मुद्दा कई बार सुप्रीम कोर्ट में गया है और सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार फैसला सुनाया है कि राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है जब राज्य के शासन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।

★राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकते★

कोर्ट ने कहा, हम अपनी ओर से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकते। कोई HC ऐसा नहीं कर सकता।इस मामले में कोर्ट के दख़ल का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट के प्लेटफार्म का इस्तेमाल राजनतिक बहस के लिए नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा हिरासत में से सरकार चलाने में व्यहारिक दिक्कत हो सकती है पर हमारे आदेश पास करने की ज़रूरत नहीं है। LG या राष्ट्रपति देखेंगे। हमें उन्हें निर्देश देने की ज़रूरत नहीं है।

 

देश के राष्ट्रपति की ओर से राज्यपाल के हाथों में राज्य की कमान आ जाती है। राज्य के मुख्य सचिव और अन्य सलाहकारों या प्रशासकों की मदद से राज्यपाल ही राज्य का प्रशासन आदि संभालता है। राष्ट्रपति के पास यह शक्ति भी है कि वो ऐलान करे कि राज्य की विधानसभा की शक्तियां राष्ट्रपति शासन के दौरान संसद के पास जा सकें। यानी राज्य के लिए कानूनी और नीतिगत फैसले संसद में होते हैं।राष्ट्रपति या तो विधानसभा को भंग कर सकते हैं या फिर सस्पेंड।

अब अगर यह स्थिति भी बने कि संसद का सत्र न चल रहा हो तो ऐसे राज्य के लिए कोई कानून या नीति राष्ट्रपति ही लागू कर सकते हैं।

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