चीन ने लद्दाख की जमीन हथियाई – सोनम वांगचुक ने किया दावा, चरवाहों के साथ रैली करके दिखाएंगे हकीकत
पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर दावा किया कि अब चरवाहों को लद्दाख के उन इलाकों में जाने की अनुमति नहीं है, जहां वह पहले अपने पशुओं को चराते थे। चरवाहों की करीब 1,50,000 वर्ग किमी ज़मीन सौर पार्क के लिए जा चुकी है। लद्दाख के कई संवेदनशील इलाकों में औद्योगिक फैक्ट्रियां खुलने जा रही है। इस वजह से यहां के लोग बेरोज़गार हो रहे हैं।
वांगचुक ने वीडियो में आगे कहा कि वह इसे साबित करने के लिए 27 मार्च या फिर 7 अप्रैल को 10 हज़ार चरवाहों के साथ बॉर्डर मार्च करेंगे। जहां चरवाहे पहले अपने जानवर चराने जाते थे, हम वहां तक जाने की कोशिश करेंगे।
आप भी देखिए ये वीडियो –
BEGINNING OF DAY 14 OF MY #CLIMATEFAST
250 people slept hungy in – 12 °C to safegurad Ladakh’s land, environment and tribal indigenous culture
Our nomads are losing prime pasture land to huge Indian industrial plants to the south & Chinese encroachment to the north
To show the… pic.twitter.com/to4jUyaPJc— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) March 19, 2024
21 दिन का अनशन
सोनम वांगचुक ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग की है। छठी अनुसूची के अनुसार स्वायत्त ज़िला परिषदों के माध्यम से क्षेत्रों के प्रशासन में स्वायत्तता प्रदान करती है। आदिवासी समुदाय को विशेष सुरक्षा देने के लिए असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम छठी अनुसूची में शामिल हैं। वांगचुक लद्दाख के लिए भी यही चाहते हैं, ताकि यहां के पर्यावरण के हिसाब से संवेदनशील इलाकों को बचाया जा सके।
उनकी इन बातों को केंद्र सरकार ने मानने से इंकार कर दिया है, इसी वजह से 7 मार्च से शून्य से नीचे तापमान में सिर्फ पानी और नमक के सहारे अनशन कर रहे हैं। उनकी इस हड़ताल को हौसला देने रोज़ रात को 125-150 लोग आसमान के नीचे शरीर को जमा देने वाली ठंड में सोते हैं।
वांगचुक रोज़ सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके वहां के हालात की जानकारी लगातार दे रहे हैं और उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए, स्थानीय लोगों को नौकरी और कारगिल व लेह में एक-एक संसदीय सीट होनी चाहिए।
लद्दाख का पर्यावरण इतना संवेदनशील क्यों है और फैक्ट्रियां व वाहनों की बढ़ती संख्या किस तरह इस इलाके को खत्म कर देगी। इस बारे में वांगचुक रोज़ाना अपने वीडियो में बताते हैं। आप भी सुनिए –
BEGINNING OF DAY 15 OF #CLIMATEFAST
I’m still fine surviving on just water & salts.
Along with me 125 people slept hungry outdoors under clear skies. Temperature: – 11 °C
Let’s understand that saving Ladakh’s glaciers is not just a concern for people of Ladakh alone. Find out… pic.twitter.com/tXPqS6ro4w— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) March 20, 2024
क्यों उठ रहे हैं ये मुद्दे?
साल 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाते ही दोनों राज्यों की विशेष संवैधानिक स्थिति खत्म हो गई। जम्मू और कश्मीर को तो राज्य का दर्जा दिया गया है लेकिन लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया है। वांगचुक का कहना है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने के बाद वहां लोकतंत्र स्थापित हो जाएगा लेकिन लद्दाख नौकरशाही के अधीन रह जाएगा। इससे पर्यावरण के हिसाब से संवेदनशील इलाकों के बारे में कोई नहीं सोचेंगा, जिससे हिमालय के ग्लेशियर्स को बहुत नुकसान होगा।
कौन है सोनम वांगचुक?
सोनम भारतीय इंजीनियर, वैज्ञानिक और पर्यावरण बचाने के लिए काम करते हैं। उन्होंने स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना करके शिक्षा प्रणाली को भी सुधारने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। उनका यह परिसर सौर ऊर्जा पर चलता है और खास बात यह है कि खाने पकाने से लेकर हीटर और रोशनी के लिए किसी जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
वांगचुक ने एक आइस स्तूप का अविष्कार किया था, जो सर्दियों के पानी को इकट्ठा करके कृत्रिम ग्लेशियर बनाता है। इसके अलावा उन्होंने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले तंबू बनाए, जिसे सेना सियाचिन और गलवान घाटी जैसे बेहद ठंडे इलाकों में इस्तेमाल कर सकती है।
उन्हें 2018 में रेमन मैग्सेसे सम्मान, 2017 में ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर, 2022 में सातवें डॉ. पॉलोस मार ग्रेगोरियोस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
चर्चा में कब आए?
जब साल 2009 में राजकुमार हिरानी की फिल्म 3 इडियट्स सुपरहिट हुई तो लोगों को वांगचुक के बारे में पता चला। इस फिल्म में आमिर खान का रैंचों का रोल वांगचुक पर आधारित था। हालांकि वांगचुक कई बार कह चुके हैं कि रैंचों का किरदार सिर्फ उनसे प्रेरित था, यह उनके जीवन पर आधारित बिल्कुल नहीं है लेकिन इस फिल्म के कारण वांगचुक के बारे में लोगों को करीब से जानने का मौका मिला।