समझिये क्या है एनपीआर, जिसे लेकर मचा है ताज़ा बवाल
नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी के बाद अब मोदी सरकार एनपीआर अपडेट करने वाली है | इसके लिए मोदी कैबिनेट ने तैयारी भी शुरू कर दी है | लेकिन क्या आपको पता है की ये एनपीआर आखिर है क्या ?
आज हम आपको बताते हैं की आखिर ये एनपीआर क्या है और सरकार ने इसे क्यों लागू किया है |
मोदी सरकार द्वारा लागू हुआ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। यह नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता नियम 2003 के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है।
क्या हर नागरिक को NPR में रजिस्टर करना ज़रूरी है ?
जी हाँ | भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में रजिस्टर कराना ज़रूरी है। एक सामान्य निवासी को एनपीआर के उद्देश्यों के लिए परिभाषित किया जाता है, जो व्यक्ति पिछले 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहता है या एक व्यक्ति जो अगले 6 महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में निवास करने का इरादा रखता है।
क्या हैं इस स्कीम के उद्देश्य?
एनपीआर का उद्देश्य देश में हर सामान्य निवासी की एक पहचान का डेटाबेस तैयार करना है। इस डेटाबेस में बॉयोमीट्रिक डिटेल्स भी शामिल होगी। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।
आप NPR में रजिस्ट्रेशन इस तरह करवा सकते हैं ?
अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 के दौरान एनपीआर तैयार करने में जुटे कर्मी घर-घर जाकर डेटा जुटाएंगे। इसके बाद इस इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के तौर पर तैयार किया जाएगा। फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट्स जैसी चीजों को इसमें शामिल किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एनपीआर तय करने के लिए नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारियों की देखरेख में होगी। इसके लिए सरकार ने एक एप्प भी तैयार किया हुआ है |
NPR में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए हर निवासी के लिए ये सब जानकारी उपलब्ध करना ज़रूरी है :
व्यक्ति का नाम
घर के मुखिया से रिश्ता
पिता का नाम
माता का नाम
पति का नाम (यदि विवाहित है)
लिंग
जन्म की तारीख
वैवाहिक स्थिति
जन्म स्थान
राष्ट्रीयता (घोषित)
सामान्य निवास का वर्तमान पता
वर्तमान पते पर रहने की अवधि
स्थायी निवास पता
व्यवसाय / गतिविधि
शैक्षणिक योग्यता
क्या NRC भी होंगे एनपीआर का हिस्सा?
एनआरआई भारत के आम नागरिक नहीं माने जाते और उनके बाहर रहने के चलते उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यदि वह भारत आते हैं और यहां रहने लगते हैं तो उन्हें भी एनपीआर में शामिल किया जा सकता है।
वहीँ एनआरसी या नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल का मकसद अवैध रूप से भारत में अवैध रूप से बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। बता दें कि एनआरसी अभी केवल असम में ही पूरा हुआ है। जबकि गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा।
NRC क्यों हैं ज़रूरी
एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इसे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। पूरे भारत में लागू करने के लिए इसके लिए अलग जरूरतें और मसौदा होगा।
अगर कोई व्यक्ति एनआरसी में शामिल नहीं होता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में ले जाया जाएगा जैसा कि असम में किया गया है। इसके बाद सरकार उन देशों से संपर्क करेगी जहां के वो नागरिक हैं। अगर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए साक्ष्यों को दूसरे देशों की सरकार मान लेती है तो ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।