लव जिहाद के खिलाफ केंद्र सरकार, पहचान छिपाकर शादी करने पर होगी कैद
केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक बनाकर आईपीसी में बदलाव करने का प्रयास किया है। सरकार इस विधेयक से लव जिहाद और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों को नियंत्रित करने की तैयारी में है।
अंग्रेजों द्वारा लाए गए दशकों पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) में बदलाव के लिए केंद्र सरकार एक अहम विधेयक भारतीय न्याय संहिता (BNS) लेकर आई है। ये विधेयक कई मायनों में खास माना जा रहा है। दरअसल, इसके जरिए सरकार लव जिहाद और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों पर लगाम लगाने की तैयारी में है।
प्रस्तावित कानून में पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे के तहत यौन संबंध बनाने पर अब 10 साल तक की कैद हो सकती है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक क्यों लाया गया? शुक्रवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह में तीन विधेयक पेश किए, जिसमें पहली बार इन अपराधों से निपटने के लिए एक विशिष्ट प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है।
शाह ने लोकसभा में 1860 के भारतीय दंड संहिता (IPC) को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक पेश किया और कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
शाह ने कहा कि इस विधेयक में महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान है। अब शादी, नौकरी, पदोन्नति के झूठे वादे और झूठी पहचान के तहत महिलाओं के साथ संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म करने पर भी मौत की सजा दी जाएगी।
हालाँकि अदालतें शादी के वादे के आधार पर दुष्कर्म का दावा करने वाली महिलाओं के मामलों को पहले भी देख चुकी हैं, आईपीसी में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
लव जिहाद दो शब्दों का संयुक्त शब्द है। प्यार अंग्रेजी शब्द है, जिहाद अरबी शब्द है। जब एक धर्म के लोग दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन कर देते हैं। अब इस बिल ने पहचान छिपाकर शादी करने पर सजा देने का प्रावधान दिया है, जिससे ऐसे अपराधों को दंडित किया जा सकेगा।