ट्विटर के पूर्व सीईओ के खुलासों पर बोली कांग्रेस – मदर ऑफ डेमोक्रेसी में मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी किया जा रहा है
नई दिल्ली: कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी में मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी किया जा रहा है। डोर्सी के खुलासों से यह एक बार फिर साबित हो गया है कि मौजूदा भाजपा सरकार साजिश रचकर देश में लोकतंत्र को कमजोर करने का कार्य कर रही है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने केविन एप से देशवासियों के डाटा लीक होने को लेकर भी सरकार से कई सवाल किए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ट्विटर के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैक डोर्सी ने एक साक्षात्कार में दावा किया है कि ट्विटर को देश में किसानों के प्रदर्शन के दौरान सरकारी दबाव और बंद किये जाने की धमकियों का सामना करना पड़ा था। इससे एक बार फिर साबित होता है कि प्रधानमंत्री मोदी हिटलर की तरह व्यवहार कर रहे हैं और वह तानाशाह होने के साथ कायर भी हैं। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि राहुल गांधी जी ने सही कहा था कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है। राहुल गांधी जी की इस बात पर आज एक बार फिर से मुहर लग गई है।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि काले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने एक साल से भी अधिक समय तक आंदोलन किया। भीषण गर्मी, बारिश, ठंड,की परवाह किए बगैर किसान अपने अधिकार के लिए डटे रहे। किसानों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी, आतंकी कहा गया था। मगर तानाशाह किसी की सुनने को तैयार नहीं था। अपने घमंड और अहंकार में चूर देश का डरपोक तानाशाह प्रधानमंत्री तब तक चुप रहा, जब तक 700 से ज्यादा किसानों की शहादत नहीं हो गई। ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स को बोला गया था कि अगर किसानों को दिखाया तो उनके दफ्तरों पर, उनके कर्मचारियों के घर पर छापा पड़ेगा और भारत में ट्विटर बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद चुनावी नफा-नुकसान देखते हुए तीन काले कृषि कानून वापस लिए, लेकिन ये सच है कि जब इस देश का अन्नदाता अपने हक की लड़ाई लड़ रहा था तो इस देश के प्रधानमंत्री उनपर दमनपूर्वक कार्रवाई कर उनकी आवाज को दबाने का काम कर रहे थे।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भाजपा की फेक न्यूज फैक्ट्री आईटी सेल और भाजपा नेताओं ने टूलकिट का मुद्दा उठाया था और कहा था कि कांग्रेस टूलकिट का इस्तेमाल कर रही है। उस टूलकिट को ट्विटर ने मैनिपुलेटेड मीडिया कहा था। इसके बाद 24 मई, 2021 को ट्विटर के कार्यालयों पर छापा पड़ा, ट्विटर के कर्मचारियों के घर पर छापा पड़ा। यह सब किसान आंदोलन को दबाने के लिए किया गया था। ट्विटर ही नहीं भाजपा सरकार के काले कारनामों को उजागर करने वाले दैनिक भास्कर, न्यूज क्लिक, द वायर, एनडीटीवी पर भी छापेमारी की गई। सरकार के खिलाफ जिसने भी आवाज उठाई, उसे दबाने की कोशिश की गई।
सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के ट्विटर अकाउंट को सरकार के इशारे पर ब्लॉक किया गया था। इससे भी सरकार का मन नहीं भरा तो छह महीने तक के लिए उनके अकाउंट की फॉलोवर ग्रोथ भी धीमी कर दी गई। ट्विटर जैसे अन्य प्लेटफॉर्म पर भी सरकार सच को दबाने का काम कर रही है। फेसबुक, यूट्यूब पर भी यही हो रहा है।
वहीं सुप्रिया श्रीनेत ने कोविन एप से डाटा लीक होने को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कोरोना की वैक्सीन लगावाने के लिए रजिस्ट्रेशन हुए। लोगों ने कोविन एप पर अपनी जानकारी भरी। अब सामने आया है कि करोड़ों लोगों का डाटा लीक हो गया है। बड़े-बड़े नेताओं का भी डाटा लीक हुआ है।
सरकार के राज्य मंत्री कहते हैं कि ये कोविन डाटा लीक नहीं है, यह पहले कोई कोविन डाटा लीक हुआ था, वहां से आ रहा है। तो कांग्रेस पार्टी के सवाल हैं कि जो पहले का डाटा लीक जिसको अलेज्ड: ब्रीच एंड स्टोलन डाटा कहा जा रहा है, क्या उसके बारे में सरकार ने कोई कार्रवाई की थी? यह सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया कि वह कौन सा डाटा था? एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? ये डाटा कहां से लीक होता है? कैसे टेलीग्राम पर सिर्फ नंबर डालने से पूरा डाटा मिल रहा है?
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भाजपा सरकार लगातार देशवासियों का डाटा इकट्ठा करती है। इस तरह का उल्लंघन पहली बार नहीं हुआ है। वर्ष 2017 में देश के उच्चतम न्यायालय ने डाटा को राइट टू प्राइवेसी बताया था, उस राइट टू प्राइवेसी का क्या हो रहा है? तो सवाल यह है कि यह डाटा कैसे कोविन एप से लीक हुआ, किसके पास गया और सरकार की क्या जिम्मेदारी है?