म्यांमार की तानाशाही को हथियार बेच रहा है भारत–नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी…
बर्मा–भारत पर एक बार फिर आरोप लगा है, कि वह म्यांमार की सैन्य जुंटा को हथियार बेच रहा है। एक मानवाधिकार संगठन ने इस बारे में कुछ दस्तावेज जारी किए हैं।समाजसेवी कार्यकर्ताओं के एक संगठन ने कहा है कि भारत के हथियार निर्माताओं ने म्यांमार को तोपों के पुर्जे दिए हैं, जिनका इस्तेमाल शासन विरोधी कार्यकर्ताओं के खिलाफ किया जा सकता है। म्यांमार में सैन्य जुंटा सत्ता पर काबिज है और वहां लोग लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्षरत हैं। आंग सान सूची समेत कई राजनेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को जुंटा ने जेल में बंद कर रखा है।म्यांमार में सत्ता पर काबिज सेना ने पहले भी विरोधी समूहों के खिलाफ तोपों व हवाई हमलों का इस्तेमाल किया है। इन हमलों का मकसद विरोध व असहमति को कुचलना है। मानवाधिकार संगठन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील कर रहे हैं कि म्यांमार को हथियार ना दिए जाएं क्योंकि उनका इस्तेमाल आम लोगों के खिलाफ हो सकता है।
अक्टूबर में भेजे गए बैरल
‘जस्टिस फॉर म्यांमार’ नामक संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक में भारत की कंपनी यंत्र इंडिया लिमिटेड ने 122 मिलीमीटर के आकार वाले 20 गन बैरल म्यांमार भेजे थे। यह रिपोर्ट जहाजों से भेजे गए सामान की जानकारियों के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक जिस कंपनी को यह सामान भेजा गया था उसका नाम इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज कंपनी लिमिटेड है और उसका दफ्तर यंगून में है।सामान की कीमत 3,30,000 डॉलर यानी करीब 27 करोड़ रुपये थी।समाचार एजेंसी एएफपी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक पिछले साल इसी कंपनी ने जुंटा की ओर से निकाला गया एक ठेका हासिल किया था, जिसके तहत एक डेटा सेंटर में सुरक्षा उपकरण लगाए जाने थे।
जस्टिस फॉर म्यांमार ने कहा कि बहुत संभव है कि ये बैरल सेना द्वारा तोपें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।वहीं समाजसेवी कार्यकर्ताओं के एक संगठन ने कहा है कि भारत के हथियार निर्माताओं ने म्यांमार को तोपों के पुर्जे दिए हैं, जिनका इस्तेमाल शासन विरोधी कार्यकर्ताओं के खिलाफ किया जा सकता है। म्यांमार में सैन्य जुंटा सत्ता पर काबिज है और वहां लोग लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्षरत हैं। आंग सान सूची समेत कई राजनेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को जुंटा ने जेल में बंद कर रखा है।
म्यांमार में सत्ता पर काबिज सेना ने पहले भी विरोधी समूहों के खिलाफ तोपों व हवाई हमलों का इस्तेमाल किया है।इन हमलों का मकसद विरोध व असहमति को कुचलना है। मानवाधिकार संगठन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील कर रहे हैं कि म्यांमार को हथियार ना दिए जाएं क्योंकि उनका इस्तेमाल आम लोगों के खिलाफ हो सकता है।