कॉर्बेट में पेड़ों का पातन किया गया, कार्रवाई क्यों नहीं हुई : हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को फटकारा, सरकार ने कहा, डीएफओ व अन्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई
नैनीताल। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए पूछा कि एक ओर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैधानिक अतिक्रमण तथा पेड़ों का पातन किया गया, लेकिन सरकार की ओर से इस गंभीर मामले में दोषी अफसरों और अन्य के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? जिस पर सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि डीएफओ व अन्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पीसीसीएफ राजीव भरतरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। कमेटी को निर्देशित किया गया था कि दोषी कौन है और क्या कार्यवाही की गई, यह शपथपत्र देकर बताएं। जिसके बाद राजीव भरतरी को पीसीसीएफ पद से हटा दिया गया था और आइएफएस वीके सिंघल को पीसीसीएफ बनाया गया। कोर्ट ने 22 फरवरी की तिथि नियत करते हुए मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी अनु पंत ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज न्यायालय के समक्ष रखे। जिसको गंभीरता से लेते हुए न्यायालय की खंडपीठ ने 6 जनवरी 2022 को मुख्य सचिव को कार्यवाही करने के लिए कहा था। मुख्य सचिव की ओर से फरवरी 2022 में दाखिल शपथपत्र में कहा गया था कि समय-समय पर न्यायालय को कार्यवाही के बारे में अवगत कराते रहेंगे, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी उन्होंने किसी भी तथ्य के बारे में न्यायालय को अवगत नहीं कराया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का एक भी वृक्ष नहीं काटा जा सकता, लेकिन वर्तमान में तो फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 6000 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विभागाध्यक्ष की ओर से बनी समिति ने इसके लिए कई अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन शीर्ष अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। न्यायालय ने मुख्य सचिव को दोबारा एक शपथपत्र दाखिल कर यह बताने को कहा है कि दोषी अफसरों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता सीएस रावत ने कहा कि यह याचिका एक व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए दाखिल की गई है। इसीलिए इस पर कोई सुनवाई नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की जो भी मंशा हो लेकिन याचिका जनहित में एक प्रमुख मुद्दा उठा रही है इसीलिए सरकार को दोषियों पर कार्यवाही करनी चाहिए।