शहरों के मुकाबले गांव में महंगाई की मार
शहरवासियों को हमेशा यह भ्रम रहता है की गांव में रहना ज्यादा आसान और सस्ता है लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती और खाने की वस्तुओं का प्रबंध आसानी से हो जाता है ऐसा सोचने वाले लोगों को मै बताना चाहूंगी क़ि ऐसा नहीं है गांव के लोगों का जीवन शहर वालों के मुकाबले पहले भी कठिन था और आज भी कठिन है।
गांव में न तो शहर जैसी सुविधाएँ हैं और न ही वहां कुछ सस्ता है पुराने समय में गांव के लोगों को काफी सामान खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती थी एक दूसरे की मदद से चीज़ों का आदान प्रदान करके काम चल जाता था यह वह समय था जब लोगों के खर्चे और जरूरतएँ सीमित थीं अगर किसी के घर में ख़ुशी अथवा दुःख की घड़ी आती थी तो सभी लोग मिलकर सहयोग के साथ उस वक़्त साथ साथ होते थे ऐसे समय पर हलवाईओं के स्थान पर घरों की औरतें मिलकर भोजन की व्यवस्था कर लेती थीं जरूरत का सारा सामान घरों से एकत्र हो जाता था और सभी लोग ख़ुशी ख़ुशी उत्साह के साथ सहयोग करते थे समय बदलने के साथ इस पूंजीवादी युग में पैसे की अहमियत रिश्ते नातों से ज्यादा बढ़ चुकी है।
न तो सहयोग की वह भावना रही और वस्तुओं के महंगे होने और लोगों के पास सीमित संसाधन होने के कारण मुफ़्त में मदद मिलना असंभव हो गया गांव में ज्यादातर वस्तुओं के भाव शहरों से भी ज्यादा हो चुके हैं हाल में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने जो रिपोर्ट पेश करी है ।
उससे साफ़ पता चलता है कि शहरों के मुकाबले गांव में महंगाई ज्यादा है मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में देश में महंगाई दर 6.77 फीसदी पर रही शहरी छेत्रों में महंगाई दर 6.50 फीसदी जबकि गावो में यह 0.48 फीसदी ज्यादा यानि की 6.98 फीसदी पर रही अक्टूबर में कंज्यूमर फ़ूड प्राइस इंडेक्स 7.01 फीसदी पर रहा इसके मुताबिक शहरों में महंगाई 6.53 फीसदी पर रही व गावों में महंगाई 7.30 फीसदी रही देश में सबसे जायदा महंगाई 8.82 फीसदी तेलंगाना में जबकि दिल्ली में सबसे कम महज 2.99 फीसदी महंगाई अक्टूबर माह में रही।
अर्थशास्त्र और जीडीपी के जानकार बताते हैं कि यह आंकड़े सरकारी हैं असल में महंगाई दर इससे कहीं ज्यादा है और जीडीपी दर काफी ख़राब हालत में है कई कारोबार ठप हो चुके हैं नौकरियां तेजी से घटी हैं गाँव में युवाओं को नौकरी मिलना पहले ही मुश्किल था अब हालात और ज्यादा ख़राब हैं जो युवा गाओं से शहरों में नौकरी तलाश करने आ रहे उनके लिए राह आसान नहीं राशन और सब्जियां छोड़कर बाकि सभी सामान शहरों से ही गाओं में जाता है और उनकी ढ़ुलाई और खुदरा व्यापारियों द्वारा इन पर लिया गया अतरिक्त मुनाफा इन्हे महंगा बना देता है पेट्रोल और डीज़ल हहके रेट बढ़ने के बाद इन सामानो के दाम और बढ़ गए हैं जिसके चलते गाओं में महंगाई शहरों की अपेक्षा कुछ जायदा ही बढ़ गयी।