मैनपुरी के साम्राज्य में जर्रे जर्रे में है मुलायम, बीजेपी के छूटे पसीने।

मैनपुरी के साम्राज्य में जर्रे जर्रे में है मुलायम, बीजेपी के छूटे पसीने।

पत्रकार – गौरव मैत्रेय,  न्यूज़नशा

किसी साम्राज्य की स्थापना के लिए एक बेहतरीन कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है।  ऐसे ही एक साम्राज्य की स्थापना उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुई थी। उत्तर प्रदेश का मैनपुरी मयन ऋषि की तपस्थली रहा है।  कहा जाता है , कि मयन ऋषि की तपस्थली होने की बजह से ही यहां का नाम मैनपुरी पड़ा साम्राज्य कहना बेशक सही होगा । क्योंकि कई वर्षों तक एक ही राजनायक का अधिपत्य रहा है।  सरकार किसी की भी रही हो न्याय कितना भी ऊंचा क्यों ना रहा हो,  लेकिन उस साम्राज्य की पताका हमेशा साइकिल के झंडे पर बरकरार रही आज उस राजनायक के ना होने के बाद भी पताका वैसे है।  बुलंद है , कहीं ना कहीं मैनपुरी के जर्रे जर्रे में उस राजनायक का विलय भी गहरा और चमचमता हुआ नजर आ रहा है।

इसीलिए वहां की मिट्टी भी मुलायम मुलायम कहती नहीं थकती कहना बड़े अचंभे की बात नहीं होगी।  नेताजी की यादें और नेताजी के द्वारा किए गए कार्य वहां की जनता और वहा की मिट्टी बखूबी पहचानती है।नेताजी की यह पुरानी आदत थी , वह जब-तब ऐसा कुछ बोल देते थे, कर देते थे कि सुर्खियां बटोर लेते थे 16 वीं लोकसभा में आखिरी दिन भी सदन में यही हुआ। जाते-जाते नेता जी ने महफिल लूट ली। इन पुरानी और नई बातों को बीजेपी देखकर हैरान खड़ी है । आखिर उस साम्राज्य को कैसे तोड़ा जाए प्रयास जारी हैं लेकिन हर प्रयास असफलता की ओर ले जाता दिख रहा है । लेकिन चुनाव भी सर पर हैं।  वहीं समाजवादी पार्टी डिंपल यादव को मैदान पर उतार कर साम्राज्य की नई शुरुआत और लोगों के बीच जाकर नेताजी की कमी को पूरा कर रही हैं ।

दरअसल नेताजी के निधन के बाद से शिवपाल सिंह यादव लगातार परिवार में एक साथ आने के संदेश दे रहे हैं।  अब एक बार फिर शिवपाल सिंह यादव ने कहा था।  हमें जिम्मेदारी मिलने का इंतजार है । अभी नेताजी के जाने के बाद हम लोग शोक में हैं।  इस महीने नेताजी का जन्मदिन भी आने वाला है । जो हम हर साल मनाते थे।  लेकिन आज की इन तस्वीरों से सब साफ हो जाता है कि अब नेताजी का कुनबा एक साथ हो चुका है । इन तस्वीरों में देख सकते हैं।  एक तरफ डिंपल अखिलेश तो दुसरी तरफ शिवपाल और उनके बेटे आदित्य पूरा का पूरा मैनपुरी साम्राज्य एक साथ हो चुका है।  यही कारण है , इन तस्वीरों को देखकर बीजेपी की धड़कनें बढ़ गई है पसीना बंद होने का नाम नहीं ले रहा है । क्योंकि इस बार मैनपुरी में चुनावी बिसात बैठाने का काम शिवपाल के सर पर है । और कहा जाता है , कि शिवपाल जब भी चुनावी बिसात बैठते हैं । तो किसी को भनक तक नहीं लग पाती है यही वजह है,  कि मैनपुरी का चुनाव उत्तर प्रदेश का सबसे अहम चुनाव बनता जा रहा है। अगर मैनपुरी के सामाजिक ताने-बाने पर नजर डालें तो यहां पर मैनपुरी सदर विधानसभा सीट पर सवा तीन लाख से अधिक मतदाता हैं।

जातिगत समीकरणों की बात करें तो अनुमानों के मुताबिक मैनपुरी सदरविधानसभा क्षेत्र में करीब 25 फीसदी यादव, 12 फीसदी शाक्य 11 फीसदी ठाकुर, 8 फीसदी ब्राह्मण8 फीसदी लोधी 16 फीसदी एससी 6 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। अगर पुराने लोकसभा चुनाव को देखें तो मैनपुरी में हुए उपचुनाव में मुलायम परिवार से तेज प्रताप सिंह यादव ने चुनाव लड़ा था और उन्होंने करीब 3, 21, 249 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। उस वक्त प्रेम सिंह शाक्य ने तेज प्रताप के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार मिली थी मैनपुरी हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है इस सीट से बीजेपी को कभी भी जीत नहीं मिली।

 

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