मैनपुरी में यादव परिवार की बहू आमने -सामने ।
मैनपुरी में यादव परिवार की बहू आमने -सामने ।
उत्तरप्रदेश के मैनपुरी सीट पर लगातार सबकी नज़र बनी हुई है , और नज़र बने भी क्यो ना आखिर कार मैनपुरी सीट जो की हमेशा से नेताजी की सीट कही जाती है । उससे कौन नहीं पाना चाहेगा । पक्ष हो या विपक्ष लेकिन इस वक्त मैनपुरी सीट से समाजवादी पार्टी पर संकट ये आ खड़ा है की वो यादव परिवार से किसको समाजवादी का उम्मीदवार बनाए । इस में उनके सामने कई नाम है जिसमे तेजप्रताब का भी नाम है , धर्मेंद्र यादव का भी नाम है और डिंपल यादव का भी नाम है । ससुर की सीट से बहु को भी लड़ाने की भी प्लानिंग की जा रही है। लेकिन क्या वाकए में समाजवादी पार्टी का ये दाव सही बैठेगा । क्योंकि मैनपुरी सीट 45%यादव वोटर है और हालही में नेताजी के निधन के बाद लोगो की भावनाएं जिस तरह से उन्हे देखने के लिए उनके आखिरी दर्शन के लिए उमड़ी थी उससे अंदाजा लगाया जा सकता है की लोग नेता जी को लेकर कितना भावुक है । प्रधानमंत्री से लेकर तमाम नेताओं ने अपनी श्रद्धांजलि दी थी । सैफई में लोगो का ताता लग गया था इस में सवाल ये उठ रहा है की नेताजी की मैनपुरी सीट से कौन होगा उनकी पार्टी से उम्मीदवार । अभी पार्टी में कई लोगो के नाम पर मंथन चल रहा है। जैसे हमने बताया की तेजप्रतब का भी नाम इसमें है लेकिन तेजप्रताब का नाम आने की वजह ज्यादा तर यही मानी जा रही हैं की लालू यादव के वो दामाद है और परिवार से भी उनके ऊपर बहुत प्रेशर दिखाई दे रहा है । लेकिन तेज प्रताब का अनुभव अभी इस चुनावी मैदान के लिए बहुत ज्यादा परियाप्त नहीं है । खास तौर से नेताजी की सीट के लिए । वहीं दूसरी तरफ़ बात करे धर्मेंद्र यादव की तो धर्मेंद्र यादव जिन्होंने हालही में आजमगढ़ से चुनाव लड़ा था । धर्मेंद्र यादव की पकड़ जमीन पर काफी मज़बूत मानी जाती है लेकिन हालही में दो हरे हुए चुनाव उनके खाते में आए है । इसे पहले वो बधाई हो का चुनाव भी हार चुके है और अब आजमगढ़ का चुनाव उन्होंने हरा है । धर्मेंद्र यादव को लेकर ये मंथन चल रहा है की क्या उन्हे मैनपुरी सीट दी जाए?
और अब बात आती है डिंपल यादव की मुलायम सिंह यादव की बहु डिंपल यादव जो की संसद भी रह चुकी है कनॉट से । लेकिन इस बार न उन्होंने विधान सभा चुनाव लड़ा था न पिछले कुछ समय से बहुत ज्यादा सक्रिय राजनीति में वो दिखाई दे रही है । अखिलेश यादव के साथ उनकी उपस्थिति अक्सर हर जगह दिखती लेकिन उनकी खुद की उपस्तिथि सक्रिय राजनीति में ज्यादा नहीं दिख रही है । परिवार के काम काज में डिंपल यादव इन दिनों काफी तेजी से भागेदारी ले रही है । इसे में सवाल ये भी उठ रहा है की डिंपल यादव का नाम भी आगे आ सकता है । और नेताजी के निधन के बाद उनकी भावनाएं लोगो में जिस तरह से उमड़ी है लोग उनका साथ दे कर उन्हे जीता सकते है । बात सिर्फ डिंपल यादव तक नहीं है बीजेपी से भी जो नाम सामने आ रहे है उनमें सबसे ज्यादा मजबूत नाम जो सबसे आगे आया है वो है अपर्णा यादव का आपको याद होगा की किस तरह से अपर्णा यादव के लगातार अपने परिवार में कई तंज भी किए विधानसभा चुनाव के दौरान । लेकिन अपर्णा को बीजेपी में जा कर कुछ खास फायदा होते दिखाई नहीं दे रहा है । इसे में अपर्णा ने कई जगह पर ये भी स्टैंड लिया की वो अपने परिवार के खिलाफ और अपने जेठ के खिलाफ अखिलेश यादव के खिलाफ काफी कुछ बयां बजी नहीं करेंगी । लेकिन पार्टी के दबाव के चलते उन्होंने काफी कुछ बयान दिए भी । अब चर्चा ये भी सामने आ रही है की बीजेपी से अमित शाह का दबाव अपर्णा यादव पर लगातार बना हुआ की वो मैनपुरी सीट से चुनाव लड़े। लेकिन परिवार के अंदरूनी चर्चा के मुताबिक परिवार का कोई भी सदस्य एक दूसरे के सामने आने से बचने की कोशिश करेगा । यही पर अगर हम बात कर शिपाल यादव की तो शिवपाल यादव मैनपुरी सीट के लिए जिस तरह की दावेदारी कर रहे थे जब निताजी की तबियत खराब थी। अब मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल यादव भी us द्विदारी में आगे नज़र नहीं आ रहे और ना ही वो इस तरह की कोई कोशिश करते नज़र आ थे है की वो मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगे लेकिन अभी तक इन बातो को खरीश भी नहीं किया जा सकता है । आंत में कौन पर्चा भरेगा और किसके पर्चे में वाक्य में दम होगा और किसका पर्चा भरने के बाद जनता उससे स्वीकार करेगी ये सब देखना होगा । क्योंकि मैनपुरी सीट नेताजी की काफी खास सीट रही है और पूरे परिवार की नजर इसपर बनी हुई है शायद इसी वजह से बीजेपी भी इस सीट को गवाना नही चाहती है और इससे पाने का वो कोई भी मौका भी nhi छोड़ना चाहती है ।