जानिए नवरात्रों में मां चंद्रघंटा देवी कैसे हरेगी आपके कष्ट!
जानिए नवरात्रों में मां चंद्रघंटा देवी कैसे हरेगी आपके कष्ट!
नवरात्रि में तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा का महत्व है। देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। मां दुर्गा के इस अवतार से पता चलता है कि वह अपने भक्तों के प्रति दयालु और अपने शत्रुओं के प्रति भयानक दोनों हो सकती हैं।
शांति और पवित्रता नवरात्रि के तीसरे दिन के प्रतीक हैं। यह मां चंद्रघंटा को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव की शक्ति भी माना जाता है।
मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती के “विवाहित” रूप के रूप में भी जाना जाता है। वह अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुरी आत्माओं से बचाने के लिए कहा जाता है, और वह अपने माथे पर आधा चाँद (मंदिर की घंटी के आकार का) पहनती है।
वह अपने भक्तों को दिव्य कृपा और निडरता का आशीर्वाद देने के लिए जानी जाती हैं। मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक हैं और उन्हें दुख और संकट से राहत दिलाने के लिए भी जाना जाता है।