सड़कों पर उतरे राजनीति के राजकुमार।
सड़कों पर उतरे राजनीति के राजकुमार।
जर्नलिस्ट – हरिकेश कुमार
2017 के विधान सभा चुनाव होने थे कि उत्तरप्रदेश में चुनावी पटल पर दो लड़के उभरे , कांग्रेस के राहुल गांधी और समजवादी पार्टी के अखिलेश यादव , दोनो के गठबंधन ने विरोधी दलों में खलबली मचा दी , कांग्रेस का जनाधार न के बराबर था फिर भी जाने क्यूँ अटकलें लगाई गयीं कि कुछ बड़ा होने वाला है , लेकिन जब परिणाम आया तो गठबंधन चारों खाने चित्त हो गया दोनो दल मिलकर भी पचास सीट नहीं जीत सके , फिर 2019 , 2022 नई कहानियों और गणित का साल बना , लेकिन परिणाम के आधार पर भाजपा के अध्याय का ही हिस्सा रहा
अब 2024 का काल है और धुर दक्षिण भारत से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा चल चुकी है दस प्रतिशत का सफ़र यानी पंद्रह दिन बीत चुके हैं , राहुल की अगवानी में यात्रा की दृष्टि से अभी तक गेंद राहुल के ख़ेमे में ही है , मुख्य विरोधी दल भाजपा जो सरकार में है उसकी नींद उड़ी हुई है , चाहे जिस भी बिंदु पर कांग्रेस को भाजपा के आइ टी सेल से घेरने की तैयारी हो रही हो दांव लगातार उल्टे पड़ रहे हैं , फिर चाहे वो स्मृति के विवेकानंद स्मारक पर पूजा पर विरोधाभासी बयान हो या सम्बित पात्रा का हिजाब के ख़िलाफ़ ट्वीट हो ।
दूसरी तरफ़ भाजपा , कांग्रेस को अन्य प्रदेशों में तोड़ने और ख़त्म करने की रणनीति पर चल रही है अब तक ग्यारह राज्यों में भाजपा ने ऐसा प्रयास किया है जिसमें मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , कर्नाटका , रजस्थान , झारखंड , गोवा , मणिपुर , असम , पंजाब , जैसे राज्य मुख्य हैं ख़ास बात ये है की इन सब बातों को जानते हुए भी कांग्रेस बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही की कौन आता है और कौन जाता है , अपनी धुन में
मंगन राहुल और प्रियंका फ़िलहाल कांग्रेस के नए अध्यक्ष और साथ में भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने में लगे हुए हैं
देश में एक नए क़िस्म का विमर्श शुरू हुआ है AC में बैठ कर राजनीति के आरोपों से घिरे राहुल सड़क पर हैं तो अखिलेश पर भी यही सवाल दागे गए कि वो भी AC कमरों की राजनीति करते हैं लेकिन 2022 के चुनाव में जिस तरह से अखिलेश लड़े उसने एक अलख तो जगाई ही थी भाजपा को भी एक समय चिंता हुई थी की कहीं सत्ता हाथ से चली न जाए पर ऐसा हुआ नहीं और भाजपा सरकार को साफ़ बचा ले गई
राहुल की तर्ज़ पर अखिलेश ने भी मन बना लिया है की सड़कों पर उतरा जाएगा और पद यात्रा के ज़रिए प्रदेश के नागरिकों को जागरूक किया जाएगा
चुनौती बड़ी है क्यूँकि अखिलेश के गठबंधन के साथी राजभर कहते हैं कि जनता ने ही सड़क पर ला दिया है तो अखिलेश क्या करें , लेकिन , विकास , रोज़गार , महंगाई , भाई चारे की कमी ,जैसे मुद्दों के अलावा धर्म और जातियों में बाटने की भाजपा की नितियो से लेकर आर्थिक और विदेशी मामलों के मोर्चों पर सरकार को घेरने की बेहद ज़रूरत महसूस की जा रही है और अगर विपक्ष इन मुद्दों को उठाने और जनता को समझाने में सफल होता है तो 2024 की लड़ाई इतनी भी आसान नहीं होने जा रही , ममता बनर्जी के प्रधान मंत्री के पक्ष में हालिया रुख़ को जाने भी दिया जाए तो भी नीतीश कुमार , तेजस्वी यादव , केजरीवाल , KCR जैसे नेता ख़ासी फ़ज़ीहत करने वाले हैं
भाजपा की निगाह ख़ास तौर पर 144 सीटों पर है जो पिछली बार जीतने से रह गई थी लेकिन उत्तर प्रदेश , पंजाब , मध्यप्रदेश , राजस्थान , गुजरात , महाराष्ट्र , पश्चिम बंगाल , में ख़ासी लड़ाई लड़नी होगी ।
और ऐसे में राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से लगभग 250सीटों को घेर रखा है दूसरी तरफ़ यदि अस्सी सीटों वाले उत्तरप्रदेश में अखिलेश ने क़ायदे से अपने प्यादे चले और रणनीति बनाई तो एक बेहतर चुनौती सम्भव है
देखना है कि ये यात्राएँ ऐतिहासिक पन्नो की यात्राओं जितनी सफल होती हैं या नहीं