यूपी के कुर्मी वॉटर्स को साधने के लिए अखिलेश ने बनाया ये बड़ा प्लान , बीजेपी पड़ जाएंगी मुश्किल मे!
लोकसभा चुनाव में प्रयागराज की फूलपुर सीट से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव लड़ सकते हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का फूलपुर सीट चुनाव क्षेत्र रहा है
लोकसभा चुनाव में प्रयागराज की फूलपुर सीट से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव लड़ सकते हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का फूलपुर सीट चुनाव क्षेत्र रहा है. पंडित जवाहरलाल नेहरू इस सीट से तीन बार सांसद चुने जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने हैं. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह (Vishwanath Pratap Singh) भी फूलपुर सीट से सांसद रह चुके हैं.
दरअसल, फूलपुर सीट से चुनाव लड़कर नीतीश कुमार एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश करेंगे. यहां से चुनावी समर में कूदने का दांव नीतीश कुमार और उनकी टीम की सियासी रणनीति का वह हिस्सा है. जिसके जरिये वह विपक्ष को एकजुट करने के साथ ही बीजेपी को घेरने का भी काम करेंगे. नितीश कुमार को यह अच्छे से पता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है. ऐसे में अगर बीजेपी के खिलाफ यूपी में ही मोर्चेबंदी कर दी जाए तो उसे हराने की कोशिश कुछ आसान हो सकती है. कुल मिलाकर यह दांव 2024 की लड़ाई को मोदी बनाम नीतीश बनाने के प्रयासों का होगा, क्योंकि नीतीश के जिस फूलपुर सीट से किस्मत आजमाने की चर्चा हैं, वहां से पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की दूरी करीब सौ किलोमीटर है. यूपी से चुनाव लड़कर नीतीश कुमार अपने ऊपर लगे बिहार के नेता के ठप्पे से भी छुटकारा पाकर खुद को एक बार फिर से राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करना चाहेंगे.
यहां से चुनाव लड़ने की वजह
नीतीश के फूलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी की जानकारी देने वाले विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक यह फैसला अनायास ही नहीं, बल्कि खूब सोच-समझकर लिया गया है. दरअसल, प्रयागराज को देश में सियासत के बड़े केंद्र के तौर पर जाना जाता है. पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री और वीपी सिंह यहां से सांसद चुने जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी-चंद्रशेखर और गुलजारी लाल नंदा ने यहीं से सियासत की बारीकियां सीखीं. इसके साथ ही फूलपुर सीट का जातीय समीकरण भी पूरी तरह नीतीश के मुफीद है. यहां कुर्मी वोटर तीन लाख के करीब हैं. इसके साथ ही यादव और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं. यानी फूलपुर से चुनाव लड़कर राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा सियासी संदेश दिया जा सकता है.
ये फैक्टर करेंगे काम
जातीय गणित के सहारे ही फूलपुर सीट से अब तक नौ कुर्मी सांसद चुने गए हैं. मौजूदा समय में भी यहां से कुर्मी समुदाय की बीजेपी नेता केशरी देवी पटेल ही सांसद हैं. अकेले फूलपुर ही नहीं बल्कि आस-पास की तकरीबन दो दर्जन सीटों पर कुर्मी वोटर मजबूत स्थिति में हैं. अभी यहां के ज्यादातर कुर्मी बीजेपी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल एस गठबंधन के साथ हैं, लेकिन नितीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने पर सिर्फ इन दो दर्जन सीटों पर ही नहीं बल्कि समूचे यूपी में असर पड़ सकता है. फूलपुर सीट यूपी के उस पूर्वांचल हिस्से से आती है, जो बिहार से सटा हुआ है. इन सबसे अलग नीतीश की कोशिश राष्ट्रीय स्तर पर सियासी लड़ाई को काशी बनाम प्रयाग बनाने की होगी. वारणसी से पीएम मोदी चुनाव लड़ते हैं तो नितीश कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के जुड़ाव वाली प्रयागराज की फूलपुर सीट से खुद को पीएम मेटेरियल के तौर पर पेश करना चाहेंगे. दरअसल, पीएम फेस को लेकर विपक्ष में भले ही खींचतान हो, लेकिन तकरीबन दो तिहाई विपक्षी वोटों को एकजुट कर बीजेपी को हराने की कोशिश तमाम बड़े दल करना चाहते हैं.