सावधान इंडिया ! नफरत फैलाने वालों की पुलिस में शिकायत कीजिए

पत्रकार नवेद शिकोह की कलम से

 

तरक्की, सद्भावना और आपकी खुशियों में ख़लल डालने वाली नफरत की किसी भी साजिश से सावधान रहिए ! देश में दहशत पैदा करने की साजिशों को शिकस्त देने के लिए हमें बेहद सतर्क रहना है। मौजूदा वक्त में देश की एकता, अखंडता और सद्भावना की पहरेदारी और भी तेज़ करनी होगी। साम्प्रदायिक सौहार्द की रक्षा-सुरक्षा में अपना योगदान देना होगा। सावधान, चौकन्ना और होशियार रहने की जरुरत है। ये वो वक्त है जब देश में एक बड़ा, बहुचर्चित और एतिहासिक फैसला आने वाला है। दुनियां की निगाहें हम पर रहेंगी। इतिहास गवाह है अनेकता में एकता, गंगा जमुनी तहजीब, शांति-सद्भावना,अमन-चैन और अहिंसा की भावना हमारी ताकत भी रही है और पहचान भी। चुनौतियों के बीच हमें अपने देश की इन तमाम ख़ूबियों की विरासत को क़ायम रखना है।

नफरत का माहौल तरक्की की हर राह की रुकावट बनता है। किसी भी दौर की मंदी या आर्थिक सुस्ती की एक वजह खराब माहौल भी होता है। निवेश का कम होना भी आर्थिक सुस्ती की वजह बनता है। और यदि समाज में नफरत भरा माहौल पैदा हो रहा हो तो निवेशक हाथ रोक लेते हैं।
विकास का वादा पूरा करने के लिए,आर्थिक व्यवस्था को बेहतर बनाने, रोजगार सृजित करने और मंहगाई पर काबू पाने के लिए मौजूदा सरकारें प्रयासरत हैं।

 

यही कारण हैं कि जातिवात और फिरकापरस्ती की नफरत की हर आंधी को रोकने के लिए सरकारें हर संभव कोशिश कर रही हैं। अमन-चैन, शांति-सौहार्द, भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब क़ायम होगी तो मोदी-योगी के विकास की धाराओं को कोई नहीं रोक सकता।

नफरत के सौदागर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की शांति और कानून व्यवस्था को चुनौती देने का दुस्साहस करने की चेष्ठा कर रहे हैं। देश-प्रदेश में दहशत का माहौल पैदा करना चाहते हैं।

अयोध्या विवाद मामले पर एतिहासिक फैसले के दौरान माहौल खराब करना साजिशकर्ता की मंशा हो सकती है। ऐसी साजिशों से निपटने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। लखनऊ में हिंन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के एक सप्ताह के भीतर ही शातिर हत्यारोपी पकड़ लिए गये। इस सफलता का बड़ा श्रेय गुजरात पुलिस को जाता है। और उत्तर प्रदेश पुलिस की ये तारीफ करनी होगी कि इस हत्याकांड के बाद सूबे की कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रही। षड़यंत्रकारियों ने कमलेश तिवारी हत्याकांड के बाद यूपी में हिंसा भड़काने की हर संभव कोशिश की थी। इस हत्याकांड को अंजाम देने की इब्तिदा सोशल मीडिया की एक फर्जी आईडी थी,जिसमें शाजिशकर्ता ने अपना नाम बदल कर दिवंगत कमलेश तिवारी से जान-पहचान बनायी थी। इस साजिश की इंतेहा की आग को फहलाने के लिए भी सोशल मीडिया का ही सहारा लेने के प्रयास किए गये। इस हत्या के बाद माहौल बिगाड़ने की तमाम साजिशें हुयीं। नफरत, झूठ और अफवाहें फैलाने की नाकाम कोशिशें की गयीं। भावनाएं भड़काने की साजिशे हुयीं। इन सब के बावजूद यूपी पुलिस ने सूबे की कानून व्यवस्था का बाल बाका भी नहीं होने दिया। शांति व्यवस्था बर्करार रही।

यूपी का शासन-प्रशासन नफरत की हर आंधी से निपटने को तैयार है।

 

सोशल मीडिया के जरिए समाज में नफरत और साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने की साजिश करने वालों के खिलाफ मोदी और योगी सरकारे काफी सख्त हो गई हैं। आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले तमाम लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज होना तेज हो गये हैं। करोड़ों पोस्टों में लाखों पोस्टें आपत्तिजनक होती हैं। समाज विरोधी होती हैं। ये पोस्टें कानून व्यवस्था को चुनौती देती हैं। झूठ, नफरत और अफवाहें फैलाती हैं। किंतु पुलिस की आईटी शाखा सोशल मीडिया की लाखों जहरीली पोस्टों, टिप्पणियों, तस्वीरों और वीडियों की मौनीटरिंग कैसे कर सकती है ! जागरूक जनता का ये फर्ज बनता हैं कि सोशल मीडिया के जरिए माहौल बिगाड़ने, नफरत, झूठ और अफवाह फैलाने या भावनाएं भड़काने वाली किसी भी पोस्ट को देखते ही पुलिस में शिकायत दर्ज करें। ताकि साजिशकर्ता के विरुद्ध साइबर अपराध कानून के तहत मुकदमा दर्ज हो सके। और यदि कोई आपत्तिजनक पोस्ट फर्जी आइडी से चल रही है तो भी पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए है ताकि ऐसी आईडी को बंद करवाकर इसकी जांच हो सके।
साइबर क्राइम आज देश-दुनिया का सबसे बड़ा खतरा है। सरकारें, शासन-प्रशासन और पुलिस इससे निपटने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखे हैं। सामाजिक समरसता-सौहार्द और देश की अखंडता का अनुष्ठान जनता की सहभागिता के बिना अधूरा है।
सरकार और सामाजिक समरसता का साथ देने के लिए सोशल मीडिया में किसी भी आपत्तिजनक पोस्ट की फौरन शिकायत दर्ज करना बेहद जरूरी है।

इधर देश को नफरत की आग में झोंकने की साजिशें तेज़ हो गईं हैं। समाज को तोड़ने और देश की अखंडता को चुनौती दी जा रही है। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट, झूठी भड़काऊ खबरें और अफवाहों से ना जाने कितनें ही साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं। जब से सोशल मीडिया का प्रचलन आम हुआ है तब से पिछले करीब दस वर्षों के दौरान सोशल मीडिया के जरिए नफरत की आग देश में कितने ही लोगों की जान ले चुकी हैं। ऐसे माहौल में जान और माल के नुकसान के साथ देश पिछड़ता है। नफरतें तरक्की के रास्ते की रुकावट बनती हैं। आईये हम सब मिलकर राष्ट्रहित में जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभायें। सरकार, शासन-प्रशासन, पुलिस और कानून व्यवस्था का साथ देते हुए हम सब मिलकर सोशल मीडिया पर नफरत की गंदगी के खिलाफ मुहिम छेड़े। इस अनुष्ठान को भी मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान का हिस्सा मानिए।

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