क्या अड़ानी हैं भारत के सबसे बड़े कर्ज़दार ?

कर्ज़ लेने में कोई बुराई नहीं है. सवाल ये है कि आप कर्ज़ चुका पाएँगे या नहीं?बिज़नेस करने के लिए दो तरह से पैसा उगाही होती है, शेयर

2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही अड़ानी का नाम उनके साथ लगातार लिया गया हैं । दरसल क्रेडिट रिसर्च रिपोर्ट (credit research report) में पता चला है की अड़ानी ग्रुप के कर्ज़ से भारत भी कर्ज़दार हो जाएगा । इसका सार है कि अड़ानी ग्रुप ने बहुत कर्ज़ लेकर रखा है. अगर हालात बिगड़े तो ग्रुप कर्ज़ के जाल में फँस सकता है.
गौतम अड़ानी भारत के सबसे धनी व्यक्ति हैं. दुनिया के चौथे धनी व्यक्ति है. उनकी संपत्ति 11 लाख करोड़ रुपए के आसपास है. अर्थशास्त्री ज़्याँ द्रेज ने हाल में हिसाब लगाया कि 100 लोग दस लाख साल काम करेंगे तो इतनी संपत्ति कमा पाएँगे. मान लीजिए ₹400 प्रति दिन प्रति व्यक्ति मिलेंगे. एक साल में 250 दिन काम करेंगे तब जाकर एक करोड़ रुपये कमा पाएँगे. कर्ज़ के हिसाब लगाने के बाद अड़ानी की संपत्ति बढ़ चुकी है यानी अब 11 लाख करोड़ साल लगेंगे.
अड़ानी के पास अचानक से इतनी संपत्ति कहाँ से आ गई तो इसका जवाब है शेयर बाज़ार में तेज़ी. गौतम अड़ानी ने 1988 से अपना बिज़नेस शुरू किया था, उनकी 7 कंपनियाँ शेयर बाज़ार में लिस्टेड है. वो प्राइवेट सेक्टर में देश का सबसे बड़ा पोर्ट चलाते हैं, मुंबई एयरपोर्ट अब उनका है. 6 एयर पोर्ट सरकार से ख़रीदें है. प्राइवेट सेक्टर में सबसे ज़्यादा बिजली उत्पादन करते है. बिजली में लगने वाला कोयला सबसे ज़्यादा खनन करते हैं. देश में सबसे ज़्यादा सीमेंट बनाते हैं. इतना ही नहीं, फ़ॉर्च्यून ब्रांड के तहत तेल, आटा, चावल, बेसन जैसी चीजें भी बेचते हैं.इन सबसे जुड़ी कंपनियों के शेयर तेज़ी से भागे हैं.इन कंपनियों के शेयरों की क़ीमत मार्केट कैपिटलाइजेशन 19 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है , कंपनियों में शेयर होने के चलते अड़ानी की संपत्ति बढ़ी है. इसके चलते उन्होंने लंबे समय तक देश में सबसे ज़्यादा धनी होने का ख़िताब मुकेश अंबानी से छीन लिया.अंबानी की संपत्ति 8 लाख करोड़ रुपए के आसपास है.
क्रेडिट साईट्स ने अड़ानी की इसी अमीरी को काग़ज़ी बताकर सवाल खड़े कर दिए हैं.रिपोर्ट में कहा गया है कि ये संपत्ति शेयरों की क़ीमत से जुड़ी हुई है. मतलब ये हुआ कि शेयरों की क़ीमत गिरी तो ये संपत्ति कम हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक़ अड़ानी परिवार नए नए बिज़नेस खोलने के लिए अपनी जेब से पैसे नहीं लगा रहा है बल्कि क़र्ज़ ले रहा हैं. वो ताँबे,एल्यूमिनियम , पेट्रोकेमिकल्स, टेलीकॉम जैसे धंधे में उतर रहा है. इन क्षेत्रों में उनके पास अनुभव नहीं है. ग्रुप क़र्ज़ के जाल में फँस सकता है. डिफ़ॉल्ट कर सकता है.

कर्ज़ लेने में कोई बुराई नहीं है. सवाल ये है कि आप क़र्ज़ चुका पाएँगे या नहीं?बिज़नेस करने के लिए दो तरह से पैसा उगाही होती है, शेयर बेचकर और क़र्ज़ लेकर. आम तौर पर बड़ी कंपनियाँ दोनों तरह से फंड लाती हैं. प्रमोटर ( यहाँ अड़ानी) अपनी जेब से कुछ पूँजी लगाते हैं, बाक़ी पैसे शेयर बेचकर लाते हैं. क़र्ज़ लेते हैं. अड़ानी ग्रुप पर अभी 2 लाख 30 हज़ार करोड़ रुपये क़र्ज़ है. जून में ख़त्म तिमाही में ग्रुप कंपनियों का मुनाफ़ा लगभग 7 हज़ार करोड़ रुपये हैं, बिक्री 80 हज़ार करोड़ रुपये के आसपास. क्रेडिट साइट्स की रिपोर्ट में इसी बात पर चिंता जताई गई है कि आने वाले वर्षों में कहीं कुछ ठीक नहीं हुआ तो ग्रुप मुश्किल में पड़ सकता है. हालाँकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अड़ानी के मोदी सरकार और बैंकों से संबंध अच्छे हैं.

अड़ानी तो ख़ुद फ़ोकस में बने हुए हैं ही, अंबानी से उनकी होड़ साथ साथ चल रही है. कभी टाटा बिडला की अमीरी की चर्चा होती थी. अंबानी ने उन्हें पीछे छोड़ दिया. अब अंबानी को अड़ानी से चुनौती मिल रही है. अड़ानी ने मुकेश अंबानी को अमीरी में पीछे छोड़ा है, बिज़नेस में नहीं. रिलायंस का मुनाफ़ा कम से कम तीन गुना ज़्यादा है अड़ानी ग्रुप से. अब तक दोनों अलग अलग सेक्टर में काम कर रहे थे, लेकिन आने वाले सालों ग्रीन एनर्जी, मीडिया, टेलीकॉम में टकरा सकते हैं. Credit Sights ने इसी होड़ में होश खोकर गलती करने की आशंका जताई है.
अंबानी अड़ानी की रेस का नतीजा आने में कुछ साल लगेंगे. अड़ानी के बारे में दो क़िस्से हैं, बहुत कम लोगों को पता है कि 26/11 के आतंकी हमले में वो मुंबई के ताज होटल में फँस गए थे. अगले दिन बचकर निकले. 1998 में उनका अपहरण हो गया था वहाँ से भी छूट गए.लेकिन अब अड़ानी के क़र्ज़ का देश पर क्या असर पड़ेगा सबसे बड़ी चिंता ये है ।

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