अखिलेश और रमाकांत यादव की मुलाकात पर क्यों बढ़की मायावती!
उत्तरप्रदेश की रणनीति में बीएसपी नेता मायावती एक समय पर सामाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी समर्थक मानी जाती थी, लेकिन 2017 के बाद से
बीते दिन 22 अगस्त को जब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सामाजवादी पार्टी के आजमगढ़ से विधायक रामाकांत यादव से जेल में मुलाकात की उसके बाद से सियासत थोड़ी गरमा गई है, जिसको लेकर मायावती ने भी ट्वीट किया है!
मायावती ने अखिलेश यादव को लेकर तीखे अंदाज़ में तंज कसते हुए ट्वीट किया है , जिसमे एक ट्वीट में मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए ये कहने की कोशिश की है की, सामाजवादी पार्टी खुद को गुंडाराज से अलग बताती है और वही दूसरी तरह जेल में सपा के बाहुबली विधायक रामाकांत यादव से मुलाक़ात करने जाती है!
वहीं दूसरे ट्वीट मे अखिलेश यादव के मुस्लिम नेताओं से जेल में ना मिलने को लेकर मायावाती ने ट्वीट किया है।
इस ट्वीट मे मायावती अखिलेश यादव व उनके मुस्लिम वोट बैंक पर निशाना साध रही है!
1.समाजवादी पार्टी के प्रमुख द्वारा आज़मगढ़ जेल जाकर वहाँ कैद पार्टी के बाहुबली विधायक रमाकान्त यादव से मिलकर उनसे सहानुभूति व्यक्त करने पर हर तरफ से तीखी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है जो इस आम धारणा को भी प्रबल करता है कि सपा इन्हीं प्रकार के आपराधिक तत्वों की संरक्षक पार्टी है।
— Mayawati (@Mayawati) August 24, 2022
2. साथ ही, विभिन्न संगठनों व आम लोगों द्वारा भी सपा प्रमुख से यह सवाल पूछना क्या अनुचित है कि वे मुस्लिम नेताओं से मिलने जेल क्यों नहीं जाते हैं, जबकि उनका ही आरोप है कि यूपी बीजेपी सरकार में सपा नेताओं को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल में कैद रखा जा रहा है।
— Mayawati (@Mayawati) August 24, 2022
उत्तरप्रदेश की रणनीति में बीएसपी नेता मायावती एक समय पर सामाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी समर्थक मानी जाती थी, लेकिन 2017 के बाद से जब मोदी – योगी की उत्तरप्रदेश में एंट्री हुई तब से मायावती का अंदाज़ भी बदल गया है , लोग ऐसा कहते है की मायावती अब बीजेपी की बोली बोलती है , हालाकि इस बात को मायावती ने कई बार अपने ट्वीट के ज़रिए सही भी तहराया है!
मायावती उत्तरप्रदेश की सबसे बड़ी दलित नेता मानी जाती है जो हमेशा दलितों के हक़ के लिए ही लड़ती है लेकिन 2022 के चुनावी प्रदर्शन के बाद उत्तरप्रदेश की जनता इस बात को स्वीकार नहीं पा रही है। दरअसल, 2022 के चुनावी समीकरण देखने के बाद लोगो का ऐसा कहना है की मायावाती ने अपने दलित वोटों को भी बीजेपी के नाम कर दिया है, और उत्तरप्रदेश में हुए सभी चुनावो में से 2022 के चुनावी प्रदर्शन मायावती का सबसे बेकार रहा था!
2022 के चुनावो के बाद से मायावाती हमेशा अखिलेश यादव व सामाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए ही नजर आती है