मुंबई और कोलकाता पर डूबने का खतरा, जानिए वजह
कन्याकुमारी के बाद अब देश के मुंबई और कोलकाता समेत कई तटीय इलाको पर संकट आन पड़ा है। अमेरिकी संस्थान क्लाइमेट सेंट्रल की एक रिपोर्ट के अनुसार 21वी सदी के मध्य तक ग्लोबल वार्मिंग के चलते समुद्र का जल-स्तर तेजी से बढ़ा तो भारत भी उससे अछूता नहीं रहेगा। और करीब 30 साल बाद मुंबई, कोलकाता समेत देश के कई तटीय इलाके डूब जाएंगे। या फिर इन्हें हर साल भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। इन इलाकों को मॉनसूनी मौसम में भारी बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है।
देश के तटीय इलाको में बसी 3.60 करोड़ आबादी भयावह प्राकृतिक आपदा का मुहाने पर खड़ी है। अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, तटीय इलाके या गहरे भू-स्तर वाले इलाके डूब सकते हैं। समुद्री जलस्तर में इजाफा होने से 2050 तक दुनिया भर के 10 देशों की आबादी पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। तेज शहरीकरण एवं आर्थिक वृद्धि के चलते तटीय बाढ से मुंबई और कोलकाता के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है। नासा के शटल राडार टोपोग्राफी मिशन के जरिए हुए अध्ययन के आंकड़ों के अनुसार साल 2050 तक समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ जाएगा कि भारत के मुंबई, नवी मुंबई और कोलकाता जैसे महानगर भी सदा के लिए जलमग्न हो सकते हैं। इससे करीब तीन करोड़ लोगों को विस्थापन की समस्या से जूझना पड़ सकता है।
देश के ये इलाके होंगे जलमग्न
सूरत : 50 लाख की आबादी वाले सूरत को 2050 के बाद हर साल, बाढ़ की भयावह त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है। यहां समुद्र का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ता हुआ दर्ज किया जा रहा है।
कोलकाता : बंगाल की खाड़ी और हुगली नदी की शाखाओं के जलस्तर बढ़ने से 1.50 करोड़ की आबादी वाले कोलकाता को सबसे ज़्यादा खतरा है। बता दें कि कोलकाता प. बंगाल की राजधानी है। कोलकाता का हुगली नदी की बाढ़ से ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है।
मुंबई : 1.80 करोड़ की आबादी वाली देश की आर्थिक राजधानी वर्तमान में भी हर साल मानसून में बाढ़ से परेशान होती है। लेकिन 2050 तक इसकी हालत बदतर होने की आशंका है। तटीय बाढ़ की वजह से मुंबई के कई इलाके डूब जायेंगे।
ओडिशा : ओडिशा के पारादीप और घंटेश्वर जैसे तटीय इलाकों में रहने वाले करीब 5 लाख लोग आने वाली तटीय बाढ़ से प्रभावित होंगे।
केरल : 2050 तक केरल के अलापुझा और कोट्टायम जैसे जिलों को तटीय बाढ़ जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि पिछली साल आई बाढ़ ने केरल में 1.4 करोड़ लोगों को प्रभावित किया था। वहीँ इस साल मानसून में आई बाढ़ ने भी केरल में काफी जान-माल का नुकसान किया था।
तमिलनाडु : इस राज्य के तटीय इलाके भी बाढ़ और बढ़ते समुद्री जलस्तर से अछूते नहीं रहेंगे। इसमें चेन्नई, थिरवल्लूर, कांचीपुरम प्रमुख हैं। अकेले चेन्नई में 70 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। हाल ही में चेन्नई में बाढ़ और सूखा, दोनों का कहर बरपा है।
भारत के साथ ये देश भी होंगे प्रभावित
अमरीकी रिपोर्ट में 2050 तक समुद्र में जलमग्न होने वाले इलाको में दुनिया भर के 10 देशों के नाम शामिल हैं। इनमे से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले 7 देश एशिया प्रशांत क्षेत्र के हैं। यानी एशिया प्रशांत क्षेत्र के 7 देशों के कई इलाके 2050 तक जलमग्न हो जायेंगे। इनमे भी सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में भारत सबसे ऊपर है। 2050 में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से भारत के 4 करोड़ लोग खतरे में आ सकते हैं। भारत के बाद बांग्लादेश के 2.5 करोड़, चीन के 2 करोड़ और फिलीपींस के तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों को खतरा होगा।
बता दें कि भारत के अलावा बांग्लादेश की राजधानी ढाका को काफी खतरा है। वहीँ चीन में गुआंगझो और शंघाई, म्यांमार में यंगून, थाईलैंड में बैंकाक को और वियतनाम में हो ची मिन्ह सिटी तथा हाइ फोंग पर खतरा चिह्नित किया गया है। नए अध्ययन के मुताबिक समुद्र का जल-स्तर बढ़ने से दुनिया की लगभग 30 करोड़ आबादी प्रभावित होगी। अकेले बांग्लादेश में 9 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हो जाएंगे। ऐसे में पृथ्वी की कुल 7 ख़रब की आबादी का लगभग 3 प्रतिशत हिस्सा खतरे में पड़ जायेगा।