NDA Alliance: सिकुड़ता एनडीए, भाजपा का दामन क्यों छोड़ते जा रहे उसके साथी, क्या अकेले रह जाएगी BJP?

NDA Alliance: सिकुड़ता एनडीए, भाजपा का दामन क्यों छोड़ते जा रहे उसके साथी, क्या अकेले रह जाएगी BJP?

NDA Alliance: सिकुड़ता एनडीए, भाजपा का दामन क्यों छोड़ते जा रहे उसके साथी, क्या अकेले रह जाएगी BJP?

 

बीते कुछ समय में एक-एक करके एनडीए के कई दल गठबंधन से अलग हो चुके हैं। ऐसे में चर्चा होने लगी है कि क्या अब एनडीए में केवल भाजपा ही रह जाएगी? आखिर क्यों ये क्षेत्रीय और छोटे दल भाजपा से नाराज हैं? आइए समझते हैं…

एनडीए गठबंधन से अब जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू भी अलग हो गया। नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई पार्टी के सांसदों और विधायकों की बैठक में इस पर फैसला लिया गया। बैठक के बाद नीतीश राजभवन पहुंचे। यहां उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौपा। कहा जा रहा है कि जदयू फिर से राजद और महागठबंधन के साथ सरकार बनाएगी।

 

बीते कुछ समय में एक-एक करके एनडीए के कई दल गठबंधन से अलग हो चुके हैं। ऐसे में चर्चा होने लगी है कि क्या अब एनडीए में केवल भाजपा ही रह जाएगी?

आखिर क्यों ये क्षेत्रीय और छोटे दल भाजपा से नाराज हैं

 

2014 से पहले 24 पार्टियों का बड़ा गठबंधन था एनडीए

लोकसभा चुनाव 2014 से पहले भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाले एनडीए यानी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस में छोटी-बड़ी कुल 24 पार्टियां थीं। लेकिन जैसे ही भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया एनडीए में पहली दरार आ गई। सबसे पहले बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही एनडीए छोड़कर अलग हो गए। इसके बाद भाजपा ने गठबंधन के 23 दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड जीत हासिल की। नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने और यहीं से भाजपा का नए सिरे से उदय होने लगा, जबकि एनडीए सिकुड़ने लगा।

सबसे पहले कुलदीप बिश्नोई ने छोड़ा साथ

एनडीए से गठबंधन के दलों के जाने का सिलसिला 2014 लोकसभा चुनाव में जीत के बाद ही शुरू हो गया था। सबसे पहले हरियाणा जनहित कांग्रेस ने एनडीए का दामन छोड़ा। पार्टी नेता कुलदीप बिश्नोई ने लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद और हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए से अलग हो गए।

 

बिश्नोई ने बीजेपी पर क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने का आरोप लगाया था। इसी साल तमिलनाडु की मरूमलारछी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (MDMK) ने भी एनडीए छोड़ दिया। इस पार्टी ने बीजेपी पर तमिलों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया था। MDMK वो दूसरी पार्टी बनी, जिसने एनडीए छोड़ दिया।

2016 में इन दलों ने भी छोड़ा साथ

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में एमडीएमके के बाद देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कषगम यानी DMDK ने भी एनडीए से अलग होने का एलान कर दिया। इसी तरह तमिलनाडु की एस रामदौस की पार्टी पीएमके ने भी एनडीए से नाता तोड़ा लिया। अब तमिलनाडु में केवल एआईएडीएमके ही भाजपा के साथ एनडीए में शामिल है।

 

क्या एनडीए में अकेले रह जाएगी भाजपा?

 

वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, ‘भाजपा ने पिछले आठ साल में काफी प्रभाव बढ़ाया है। जहां भाजपा का कभी जनाधार नहीं होता था, आज वहां पार्टी ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है। लोकसभा चुनावों में भी भाजपा मजबूती से जीत हासिल कर रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा में अहम की भावना आने लगी है। जेपी नड्डा ने बिहार में जो बयान दिया था, उसमें अहंकार साफ झलक रहा था। इसके चलते अब भाजपा की सहयोगी दल उनसे अलग होने की कोशिश करने लगे हैं।’

आगे कहते हैं, ‘भाजपा ने इन आठ साल में खुद को मजबूत किया। वहीं, इनके सहयोगी दलों में फूट भी पड़ी। इसका आरोप भी भाजपा पर ही लगता रहा है। ऐसे में यह संभव है कि आने वाले दिनों में भाजपा या तो अकेले रह जाएगी या फिर उसके साथ बहुत ही सीमित संख्या में दलों का साथ होगा।’

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