एटा : कुत्ते के मालिकाना हक की लड़ाई थाने तक आई, थाने में स्थित मंदिर पर कसम खाकर सौंपा गया पालतू कुत्ता जौली
कहा जाता है कि जानवरों में कोई वफादार जानवर है तो वह कुत्ता । कुत्ता अपने मालिक के प्रति बफादारी का प्रतीक माना जाता है।
ownership of dog : कहा जाता है कि जानवरों में कोई वफादार जानवर है तो वह कुत्ता । कुत्ता अपने मालिक के प्रति बफादारी का प्रतीक माना जाता है। मामला एटा जिले के अलीगंज कोतवाली क्षेत्र का है जहाँ एक पालतू कुत्ता जौली के मालिकाना हक की लड़ाई थाना अलीगंज पहुंची फर्रुखाबाद जनपद के पुरौरी गांव के रहने बाले उमेश सक्सेना ने अलीगंज कोतवाली पर शिकायत की उनका करीब आठ माह पहले अपने घर से भाग कर अलीगंज क्षेत्र के फरसोली गाँव के प्रधान के यहां आ गया है ।
शिकायत पर पुलिस ने फरसोली गांव के रहने वाले धर्मपाल सिंह यादव को जौली नाम के कुत्ते को थाने पर बुलाया गया । थाना अलीगंज पर कुत्ता हाजिर होने के बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई कुत्ते पर वास्तविक मालिकाना हक किसका है यह जानने के तमाम प्रयास किए गए। हालांकि पालतू कुत्ता जोली अपने मालिक धर्मपाल को पहचान रहा था नाम से बुलाने पर वह उनकी ओर आकर्षित हो रहा था।
थाना अलीगंज पर चली घंटों बातचीत के बाद दोनों पक्ष अपना-अपना कुत्ते पर दावा ठोक रहे थे। कुत्ते के मालिक धर्मपाल का कहना है की जौली उनका पालतू कुत्ता है और इस कुत्ते को वह लगभग आठ बर्ष से पाल रहे हैं।
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वहीं दूसरे पक्ष उमेश कुमार सक्सेना का कहना है कि कुत्ता लगभग 8 माह पूर्व फर्रुखाबाद से भाग आया था जिसकी सूचना उन्हें फरसोली के प्रधान धर्मपाल सिंह के यहां होने की मिली। पालतू कुत्ते झोली पर उमेश कुमार ने भी अपना दावा दमदारी से ठोंका।
हालांकि थाने पर चली घंटों पंचायत के बावजूद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका। दोनों पक्षों से आए संभ्रांत लोगों ने तय किया किस थाना परिसर में बने मंदिर पर ईश्वर को साक्षी मानकर शपथ लेकर जो कसम खाएगा वही कुत्ता ले जाएगा।
पालतू कुत्ते के मालिकाना हक के लड़ाई ने उस वक्त मोड़ ले लिया जब कुत्ते पर हक जता रहे दोनों लोगों को पंचायत में आए लोगों ने कसम खाने की बात रखी। दूसरे पक्ष से उमेश कुमार इस बात पर तैयार हो गए क्या घर धर्मपाल सिंह ईश्वर को साक्षी मानते हुए कसम खाने को तैयार है तो हम उनको बगैर शिकवा शिकायत और कानूनी कार्यवाही के कुत्ता उनको सौंप देंगे।
उमेश कुमार की शर्त पर धर्मपाल सिंह यादव तैयार हो गए और दोनों पक्षों को थाना परिसर में स्थित मंदिर पर जाने को कहा गया। दोनों पक्ष थाना अलीगंज पर स्थित मंदिर पर पहुंचे जहां एक पक्ष से धर्मपाल सिंह यादव ने ईश्वर को साक्षी मानते हुए कसम खाई और उन्होंने कहा कि वास्तविकता में यह कुत्ता उनका है और उनके वास्तविक मालिक वही है। कसम खाने के बाद पालतू कुत्ता जौली धर्मपाल सिंह को सौंप दिया गया।
जंजीर के बंधन से मुक्त होने के बाद पालतू कुत्ता झोली अपने मालिक धर्मपाल सिंह यादव की मोटरसाइकिल पर बैठकर वापस अपने घर चला गया