कैसे बने थे अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री? क्या यही वजह है चाचा भतीजे के बीच के विवाद की?
यादव परिवार में ऐसे कई किरदार है जो सपा और अखिलेश यादव के जीवन में एहम भूमिका निभाते है, अखिलेश यादव के जीवन का सबसे ज़्यादा एहम किस्सा वो है जब उन्हें यूपी
यादव परिवार में ऐसे कई किरदार है जो सपा और अखिलेश यादव के जीवन में एहम भूमिका निभाते है, अखिलेश यादव के जीवन का सबसे ज़्यादा एहम किस्सा वो है जब उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली, साल 2012 में जब विधनसभा चुनाव हुए तो यूपी के अधिकतर लोगों ने मुलायम सिंह के चेहरे पर अपना मत दिया था , सपा बहुमत से जीती भी लेकिन जब दिन आया मुख्यमत्री पद की शपत लेने का तो मुलायम सिंह की जगह अखिलेश यादव स्टेज पर शपत लेने आए।
आइए आपको ये किस्सा ज़रा विस्तार से बताते है,
अखिलेश यादव ने अपना राजनेतिक कैरियर 2000 में शुरु किया था और साल 2007 में अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दे दी गई, इसके बाद अखिलेश यादव युवाओं में बहुत प्रसिद्ध हो गए और उन्हें सपा का रेवोल्यूशनरी नेता भी कहा जाता है.
लेकिन क्या आप जानते है अखिलेश यादव का मुख्यमंत्री बनता तय नहीं होता अगर सत्ता में मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और अखिलेश यादव के चचेरे चाचा प्रो. राम गोपाल यादव ना होते ।
2012 का चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह यादव ने कहा था की वो चौथी बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते है, लेकिन राम गोपाल यादव को उस समय मेहसूस हुआ की अब पार्टी व उत्तरप्रदेश को युवा अनुभव की ज़रूरत है , राम गोपाल यादव ने ये बात अपने बड़े भाई को बताई और नेता जी अखिलेश यादव को उत्तरप्रदेश के मुख्यमत्री की कुर्सी देने के लिए मान गए , राम गोपाल यादव को ये मेहसूस हुआ की प्रदेश को अब जागरुक और आज की पीढ़ी वाले नेता की ज़रूरत है जो वक्त के हिसाब से जानता की ज़रूरतो को समझे , बता दे कि अखिलेश यादव ने अपनी डिग्री सिविल इंजीनियरिंग और एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग में हासिल की है,
राम गोपाल यादव का दाव शिवपाल यादव पे भी भारी पड़ गया, मुलायम सिंह यादव के बाद खुद को पार्टी का मुखिया मानने वाले शिवपाल यादव को यें लगा कि बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के बाद पार्टी व प्रदेश की चाभी उन्हे ही मिलेगी लेकिन ऐन वक्त पर जो हुआ उसकी शिवपाल यादव को कानो कान खबर तक ना लगी,
राम गोपाल यादव ने जब अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव नेता जी के सामने रखा और नेता जी की हामी भरने के बाद शिवपाल यादव ने ज़्यादा समय व्यर्थ ना करते हुए, माइक से एलान किया की अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आज़म खान साहब अखिलेश के नाम का प्रस्ताव रखेंगे , प्रस्ताव रखने के बाद पहले से तय लोगो ने उनका समर्थन किया जिसके बाद अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया इसके बाद शिवपाल यादव के सीने में जली आग और ज़्यादा बढ़ गई, और इसके बाद समाजवादी पार्टी और यादव परिवार के 2 हिस्से हो गए , एक अखिलेश यादव और एक चाचा शिवपाल , आगे जा के पार्टी और परिवार में अनबन होने की वजह से समाजवादी पार्टी के भी 2 हिस्से हो गए ,सपा और प्रास्पा . अखिलेश यादव को प्रदेश का सबसे जवान मुख्यमंत्री माना जाता है जिन्होंने प्रदेश व लोगो के हित के हित के लिए काम किया , अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनने का एहमं मकसद था कि जनता की आज कि ज़रूरतो को समझे और अखिलेश यादव ने ठीक वही काम किया !