अखिलेश यादव छोड़ेंगे आजमगढ़ लोकसभा सीट बनेंगे नेता प्रतिपक्ष, डिंपल यादव लड़ सकती है लोकसभा उपचुनाव?
अखिलेश यादव छोड़ेंगे आजमगढ़ लोकसभा सीट बनेंगे नेता प्रतिपक्ष
लखनऊ: यूपी के लखनऊ में इन दिनों राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 273 सीट जीतकर सबसे आगे रही. यह करिश्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके सिपहसालार गृहमंत्री अमित शाह की वजह से हुआ है.
वहीं दूसरी ओर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी 125 विधानसभा सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रहे हैं. अखिलेश यादव पहले से आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य हैं वहीं उन्होंने अभी हाल ही में मैनपुरी की करहल सीट से विधानसभा का चुनाव जीता है. यहां से सपा के वर्तमान में सोबरन सिंह यादव विधायक थे,उनकी जगह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत गए. इसके बाद भाजपा को छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए हैं.
अखिलेश यादव बने रहेंगे लोकसभा सदस्य
अब उन्हें कहीं से विधायक बनाने के लिए सपा में खबर आई थी कि अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट छोड़कर आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य बने रहेंगे और अपने चाचा शिवपाल यादव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना देंगे.
अगर अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से त्यागपत्र देते हैं तो वहां उपचुनाव होना लाजमी होगा. ऐसी दशा में अगर स्वामी प्रसाद मौर्य को करहल विधानसभा से उपचुनाव लड़ाया गया तो उनकी हार सुनिश्चित है. वहीं दूसरी ओर जब 2022 विधानसभा का चुनाव अखिलेश यादव ने करहल से लड़ा तो वहां से वर्तमान समय सोबरन सिंह यादव ही सपा विधायक थे. ऐसे में अगर अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट त्याग दिया तो फिर सबसे पहले चुनाव लड़ने का अधिकार उन्हीं का होगा. ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा टिकट कैसे देगी यही सबसे बड़ा प्रश्न है?
इधर सबसे बड़ा खतरा स्वामी प्रसाद मौर्य को करहल से चुनाव लड़ने का यह है कि फिर सोबरन सिंह यादव भाजपा में पाला बदलकर शामिल हो सकते हैं. इसलिए अब अखिलेश यादव करहल विधानसभा छोड़ने पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर हो गए हैं. इसी क्रम में वह सबसे पहले आजमगढ़ के दौरे पर गए जहां से वह लोकसभा सदस्य हैं.
अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से दिया त्यागपत्र
इसके अलावा अभी हाल ही में जो विधानसभा के चुनाव यूपी में हुए हैं,उसमें आजमगढ़ की दसों विधानसभा सीटें वहां के मतदाताओं ने अखिलेश यादव के चेहरे को देखकर सपा की झोली में डाल दी है. इसीलिए अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे पहले आजमगढ़ के दौरे पर निकल गए और उन्होंने वहां के समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से विधानसभा या लोकसभा कहां पर रहे, यह विचार विमर्श किया व समाजवादी पार्टी के सीनियर लोगों से फीडबैक लिया.
वहीं दूसरी ओर अगर अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से त्यागपत्र दिया और वहां उपचुनाव हुआ तो स्वामी प्रसाद मौर्य का वहां से सपा उम्मीदवार होकर भी जीतना नामुमकिन है.क्योंकि ऐसे में वर्तमान विधायक सोबरन सिंह यादव अपना अलग रुख अख्तियार कर सकते हैं.इससे करहल विधानसभा सीट सपा के हाथ से निकल जाने का खतरा हो सकता है. दूसरा सबसे बड़ा खतरा अर्पणा यादव हैं, बीजेपी के स्वामी प्रसाद मौर्य को किसी भी हालत में विधानसभा के अंदर नहीं देखना चाहती इसलिए भाजपा करहल में उपचुनाव होने पर अर्पणा यादव को अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है. ऐसी दशा में अर्पणा यादव मुलायम सिंह के बेटे प्रतीक यादव की बहू होने का पूरा लाभ उठाते हुए चुनाव जीतकर इस यादव बेल्ट पर अपना कब्जा जमा सकती हैं.
इन्हीं सब खतरों को भांपते हुए हो सकता है अखिलेश यादव विधानसभा से इस्तीफा न देकर नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाए और आजमगढ़ से डिंपल यादव को उपचुनाव लड़ा कर आजमगढ़ लोक सभा सीट भी अपने पास रखने का दाव खेलें और शिवपाल यादव को पार्टी में अन्य कोई जिम्मेदारी देकर मना लें. हमारे विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि इस बात का गंभीर मंथन आजकल अखिलेश यादव और उनके रणनीतिकार करने में लगे हुए हैं.
अर्पणा यादव जब भाजपा में शामिल हुई थी तो उन्हे भाजपा हाईकमान अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव करहल से लड़ाना चाहता था, लेकिन अर्पणा यादव ने बड़ी समझदारी से यह बयान दे दिया मैं राजनीति में परिवार की मर्यादाओं को लेकर चलूंगी और मैं किसी भी परिवार के सदस्य के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगी.
करहल से अपर्णा यादव सपा के खिलाफ लड़ेंगी चुनाव
इसके बाद भाजपा आलाकमान ने अर्पणा यादव को यादव बेल्ट से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया,लेकिन अगर अखिलेश यादव करहल विधानसभा से त्यागपत्र देते हैं तो फिर अर्पणा यादव परिवार का हवाला नहीं दे पाएंगी और उन्हें करहल से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में सपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ना पड़ेगा. ऐसी दशा में समाजवादी पार्टी के वह लोग जो पार्टी में कम मुलायम सिंह परिवार में ज्यादा विश्वास रखते हैं वह अर्पणा यादव को वोट देकर चुनाव जिता सकते हैं. इस स्थिति में मैनपुरी की राजनीति की फोटो हमेशा के लिए बदल जाएगी इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अखिलेश यादव असमंजस की स्थिति में है. लोकसभा छोड़ें या विधानसभा ? इसलिए संभव है अखिलेश यादव आजमगढ़ लोक सभा से इस्तीफा दे दें और करहल विधानसभा से प्रतिनिधित्व करते हुए नेता प्रतिपक्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा में बन जाए.