शाह से मुलाकात पर मुकरे राजभर:बोले- सब अफवाह, मैं कहीं नहीं जा रहा; सपा के साथ 2024 की तैयारी कर रहा हूं

 

होली के दिन केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की खबर का ओमप्रकाश राजभर ने खंडन किया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि न ही वो दिल्ली गए हैं और न ही उनकी अमित शाह से कोई मुलाकात हुई है। बल्कि वे यूपी में होने वाले MLC चुनाव में सपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए मेहनत कर रहे हैं।

दरअसल पहले खबर आई थी कि शुक्रवार को अमित शाह और ओमप्रकाश राजभर की दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में राजभर ने अपने कई मुद्दों को शाह के सामने रखा था। वहीं बुधवार को ओमप्रकाश राजभर और सुनील बंसल की मुलाकात हुई थी।हालांकि, राजभर इन दोनों मुलाकातों का खंडन कर रहे हैं।

राजभर बीजेपी की जरूरत
पूर्वांचल क्षेत्र में लोकसभा की करीब 26 सीटें ऐसी हैं, जहां राजभर समाज का प्रभाव है। वहीं, 14 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर राजभर समाज का वोट नतीजों पर निर्णायक रहता है। ऐसे में यह 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए अहम माना जा रहा है।
2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने भाजपा के साथ रहकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हालांकि, बीच में ही राजभर का मन बदल गया और वह भाजपा से अलग हो गए। इसके बाद, 2022 में राजभर ने सपा के साथ चुनाव लड़ा। इसमें 6 सीटों पर जीत हासिल की है।

पूर्वांचल में राजभर वोटर काफी अहम
बता दें कि पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर समुदाय का वोट राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर का पूर्वांचल की राजनीति में दबदबा है। 2022 के चुनाव में जहां एक तरफ भाजपा पश्चिम से लेकर अवध तक मजबूत नजर आई। वहीं, पूर्वांचल के चार जिलों में भाजपा का खाता तक नहीं खुला। गाजीपुर, अंबेडकरनगर, मऊ, बलिया, जौनपुर, आजमगढ़ में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।

इसके बाद भाजपा अभी से लोकसभा चुनाव को लेकर जुट गई है। भाजपा भी चाहती है कि ओमप्रकाश राजभर उनके साथ आ जाएं। यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 3 फीसदी है, लेकिन पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी है। गाजीपुर, चंदौली, मऊ, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में इनकी अच्छी खासी आबादी है, जो सूबे की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं। इसका असर 2022 के चुनाव में दिखाई भी पड़ा।

2009 के आम चुनावों में अकेले हासिल किए थे अच्छे खासे वोट
सुभासपा ने 2014 में मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल व दो-तीन अन्य छोटे दलों के साथ समझौता किया। सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशियों को 19 लोकसभा सीटों पर 25 हजार से 1.5 लाख के बीच वोट मिले थे। सुभासपा ने 2009 के आम चुनावों में अकेले दम पर ही अच्छे वोट बटोरे थे। साल 2009 के लोकसभा चुनावों में चंदौली में सुभासपा को 1.03 लाख वोट, बलिया में सुभासपा को 75 हजार वोट, सलेमपुर में सुभासपा को 65 हजार वोट, घोसी में सुभासपा को 75 हजार वोट, वाराणसी में सुभासपा को 40 हजार वोट और बस्ती में करीब 45 हजार वोट मिले थे।

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