छठे चरण में सीएम योगी पर टिकीं सबकी निगाहें, जानिए क्या हैं समीकरण
पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां पर 57 में से 46 सीटें जीतकर बड़ी सफलता हासिल की थी
उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में छठे चरण का घमासान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में होने जा रहा है। तीन मार्च को होने वाले मतदान में क्षेत्र के 10 जिलों की 57 सीटों का फैसला होगा। सबकी नजरें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लगी हुई हैं, जो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और भाजपा छोड़ सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य पर भी लोगों की निगाहें टिकी हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां पर 57 में से 46 सीटें जीतकर बड़ी सफलता हासिल की थी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। बाकी दोनों चरण प्रदेश के पूर्वांचल में हैं, जो कभी सपा और बसपा का प्रभाव क्षेत्र हुआ करता था। मगर, पिछले चुनाव में भाजपा ने अन्य क्षेत्रों की तरह यहां पर भी सपा और बसपा को पीछे छोड़कर अपनी जड़े जमा ली थीं। अब भाजपा के सामने अपनी इस सफलता को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव मैदान में होने से छठा चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विधान परिषद का रास्ता चुना
योगी पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले वह लोकसभा सांसद रहे और सीएम बनने के बाद उन्होंने सदन में जाने के लिए विधान परिषद का रास्ता चुना था। ऐसे में योगी के लिए अपनी खुद की सीट जीतने से ज्यादा चुनौती इस पूरे क्षेत्र में भाजपा को पिछली बार से भी ज्यादा बड़ी जीत दिलाने की होगी। इसके अलावा भाजपा से सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य और इस क्षेत्र से कांग्रेस के इकलौते विधायक व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी चुनाव मैदान में हैं। वह दो बार के विधायक हैं और उनके सामने अपनी हैट्रिक बनाने का मौका है।
इस बार राजनीतिक समीकरण बदले
छठे चरण के मतदान वाले क्षेत्र में इस बार सामाजिक,राजनीतिक समीकरण बदले हुए हैं। पिछली बार भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारत समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर अब सपा के साथ खड़े हुए हैं। हालांकि, भाजपा ने निषाद पार्टी के संजय निषाद को अपने साथ जोड़ रखा है। अपना दल पहले की तरह भाजपा के साथ मैदान में हैं। इस क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े नेता रहे आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने से भी भाजपा ने अपनी स्थिति बेहतर की है। 2017 के चुनाव में इस क्षेत्र की 57 सीटों में से भाजपा ने 46 सीटें जीती थीं। जबकि, उसके सहयोगी अपना दल व सुहेलदेव भारत समाज पार्टी को एक-एक ही सीट मिली थी। सपा दो और बसपा पांच सीटें ही जीत पाई थीं। एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था।