स्वामी प्रसाद मौर्य ने पडरौना सीट की क्यों दी कुर्बानी, जानें क्या है मामला

आरपीएन सिंह के भाजपा ज्वाइन करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए पडरौना की सीट सेफ नहीं

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले आरपीएन सिंह के भाजपा ज्वाइन करने से समाजवादी पार्टी की सीटों का समीकरण बदलता दिख रहा है. योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर सपा की साइकिल पर सवार हुए स्वामी प्रसाद मौर्य  की सीट पर से सस्पेंस हट गया है. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की सीट बदल दी गई है और इस बार वह परंपरागत पडरौना सीट की जगह कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ेंगे. माना जा रहा है कि आरपीएन सिंह इफेक्ट की वजह से स्वामी प्रसाद मौर्य को अपनी परंपरागत सीट छोड़नी पड़ी है. ‘पडरौना के राजा’ के नाम से मशहूर आरपीएन सिंह ने जब से भाजपा का दामन थामा है, तब से ही इस पर काफी चर्चा थी कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी उसी परंपरागत सीट से चुनाव लड़ेंगे या फिर नई सीट तलाश करेंगे, क्योंकि आरपीएन सिंह के भाजपा ज्वाइन करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए पडरौना की सीट कहीं से भी सेफ नहीं रह गई थी.

स्वामी प्रसाद मौर्य की  बढ़ी मुसीबत

दरअसल, आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने से सबसे अधिक मुसीबत स्वामी प्रसाद मौर्य की बढ़ गई थी. क्योंकि ऐसी खबर थी कि अगर स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना सीट से चुनाव लड़ते तो उनके सामने भाजपा की ओर से आरपीएन सिंह या उनकी पत्नी चुनावी मैदान में होतीं. अगर ऐसा होता तो चुनावी नतीजों से पहले ही परसेप्शन की लड़ाई में स्वामी प्रसाद मौर्य मात खा जाते और इसका असर चुनावी नतीजों में देखने को मिल सकता था. फिलहाल, भाजपा ने अब तक पडरौना से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, मगर उम्मीद जताई जा रही है कि इस सीट से आरपीएन सिंह पर दांव लगा सकती है.

स्वामी प्रसाद मौर्य के सीट बदलने लेकर यह भी कहा जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य साल 2009 में आरपीएन सिंह से हार का स्वाद चख चुके हैं. यही वजह है कि इस बार वह कोई चांस नहीं लेना चाहते, क्योंकि, इस बार आरपीएन सिंह भाजपा की रथ पर सवार हैं. 2009 में आरपीएन सिंह ने बीएसपी से चुनाव लड़े स्वामी प्रसाद मौर्या को ही हराया था. ऐसे में आरपीएन सिंह की पडरौना के साथ-साथ कुशीनगर में एक बेहद मजबूत पकड़ और उनके पडरौना से ही चुनाव लड़ने की संभावना को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ने का मन बनाया है. इसके अलावा, क्योंकि स्वामी पडरौना से कई बार विधायक रह चुके हैं, इसलिए एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए भी उन्होंने अपनी सीट बदल ली है.

आरपीएन सिंह पडरौना से चुनाव लड़ सकते हैं

आरपीएन सिंह पडरौना से चुनाव लड़ सकते हैं, इसकी पूरी चर्चा है क्योंकि आरपीएन सिंह और स्वामी प्रसाद मौर्य दोनों ओबीसी समुदाय से आते हैं, ऐसे में स्वामी के लिए राह कठिन हो जाती. आरपीएन सिंह पिछड़ी जाति सैंथवार-कुर्मी से हैं. पूर्वांचल इलाके में इस जाति के लोग काफी संख्या में हैं. इतना ही नहीं, कांग्रेस के लिए आरपीएन सिंह पूर्वांचल में सबसे बड़ा चेहरा रहे थे. ऐसे में आरपीएन सिंह के सियासी दबदबे का फायदा भाजपा को मिलना साफ है. केंद्रीय मंत्री रह चुके आरपीएन सिंह का पडरौना सीट पर दबदबा रहा है.

पडरौना का समीकरण

अगर पडरौना विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब 18% है तो वहीं दूसरे नंबर पर कुशवाहा मतदाता है, जो 16% हैं. जाटव 15%, ब्राह्मण 12%, यादव 10%, सैंथवार 8% और अन्य जातियां करीब 11% हैं. वहीं, कुशीनगर की बात करें तो आबादी के हिसाब से यूपी में सबसे घनी आबादी वाला जिला माना जाता है. 2011 की जनगणना के मुताबिक कुशीनगर की आबादी 35.6 लाख है. यहां सामान्य वर्ग की 82 फीसदी, अनुसूचित जाति की 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की 2 फीसदी आबादी है. यहां पर हिंदुओं की 82.28 फीसदी तो मुस्लिमों की 17.4 फीसदी आबादी है.

Related Articles

Back to top button