किसान फिर से सरकार से हुए नाराज, केंद्रसरकार पर विश्वासघात का लगाया आरोप
सरकार द्वारा किया गया किसानों के साथ विश्वासघात
लखनऊ: 2020 में चालू हुए किसान आंदोलन पर नवंबर 2021 में केन्द्र सरकार ने ब्रेक लगा दी थी. लेकिन किसानों कि तरफ से ये शांति ज़्यादा दिन कि नहीं लग रही है. दरअसल किसानों ने पूरे देश भर में अनेक जगह 31 जनवरी को किसान विश्वासघात दिवस मनाया है. किसानों का ये कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा उनके साथ विश्वाघात हुए है. नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए थे और किसानों से माफ़ी भी मांगी थी, लेकिन किसानों कि बाकी मांगो को कोई ज़िक्र अभी तक सरकार द्वारा नहीं हुआ है.
1 दिसंबर 2021 के जिस पत्र के आधार पर आंदोलन स्थगित किया था उनमें से बहुत सारे वादे पूरे नहीं हुए है. एमएसपी समेत कई वादे थे जिसके लिए केंद्र सरकार ने कहा था कि जनवरी खत्म होते होते किए गए वादे भी पूरे होंगे, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.
ये हैं किसानों की मांगें
2021 में जब तीनों कानून वापस ले लिए गए थे, तब संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा घोषणा की गई थी कि अगर उनके किए हुए वादे पूरे नहीं किए गए तो आंदोलन फिर शुरू हो सकता है. जब संयुक्त किसान मोर्चे के प्रवक्ता राकेश टिकैत से वादों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किए गए कुछ वादे पूरे हुए है. जैसे लखीमपुर खीरी के बाद मुआवजे का वादा पूरा हुआ है और शहीद किसानों के परिवार को भी मुआवजा मिला है.लेकिन उन्होने ये भी कहा कि सबसे बड़ी और जरूरी मांग थी.
एमएसपी गारंटी कानून पर कमेटी बनना जो की अब तक पूरी नहीं हुई है, बहुत से राज्यों में अभी भी आंदोलन के दौरान किए गए किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने का वादा था जो कि पूरा नहीं हुआ. उन्होंने कहा हमारी एक और मांग ये भी थी कि अजय मिश्रा टेनी को उनके पद से बर्खास्त किया जाए और उनकी गिरफ्तारी हो जो कि अभी तक पूरी नहीं हुई है. राकेश टिकैत का ये भी कहना है कि किसानों कि मांग पूरी करना केंद्र सरकार का काम है, लेकिन अभी राज्य के चुनावों में केंद्र बिजी है. राकेश टिकैत ने ये घोषणा कि है कि 3 फरवरी को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. जिसमें इस विषय पर विस्तार से बात की जाएगी.
written by: taneeya thakur