जेल में बंद ख़ुशी दुबे की मां को अखिलेश यादव टिकट देने की कर रहे तैयारी, ब्राहमण वोटों पर है नजर
जेल में बंद ख़ुशी दुबे की मां को सपा दे सकती है टिकट, ब्राहमणों को निशाना बनाकर बीजेपी को अखिलेश देंगे मात
लखनऊ: विधानसभा चुनाव के करीब आते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है. सभी पार्टियां एक-दूसरे पर जमकर हमलावर हो रही हैं. ऐसे में यूपी चुनाव से पहले सियासी दल भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में विपक्ष के खिलाफ किसी भी मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहते हैं. वहीं कानपुर के बिकरू कांड के जरिए सपा अब भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहती है.
एसपी को उम्मीद है कि इसके जरिए वह ब्राहमण वोट बैंक को अपनी तरफ खींच पाएगी.फिलहाल पार्टी ने कानपुर के विकास दुबे कांड के बाद एनकाउंटर में मारे अपराधी की पत्नी खुशी दुबे के परिजनों से लगातार संपर्क कर रही है. इसके बाद खुशी दूबे की मां ने कहा कि अगर अखिलेश यादव कहेंगे तो वह चुनाव लड़ेंगी.
यूपी में विकास दुबे के जरिए सियासी दल बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं और ब्राह्मण वोट बैंक को साध रहे हैं. पिछले दिनों ही बीएसपी ने भी खुशी दुबे के मामले में अपना समर्थन देने का वादा किया था. वहीं एसपी प्रतिनिधिमंडल ने खुशी दुबे के परिवार से मुलाकात कर दावा किया कि अगर खुशी को कोर्ट से न्याय नहीं मिला तो पार्टी उन्हें न्याय जरुर दिलाएगी. सपा नेताओं का दावा है कि राज्य में पार्टी की सरकार बनते ही उसके सारे मामले वापस कर दिए जाएंगे. वहीं खुशी दुबे की मां ने कहा कि अगर अखिलेश यादव कहते हैं तो वह चुनाव जरुर लड़ेंगी.
सपा नेताओं ने खुशी दुबे की मां से मुलाकात
यूपी में होने चुनाव के बीच सोमवार को एसपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मेजर आशीष चतुर्वेदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल खुशी दुबे के घर पहुंचा और उन्होंने उनकी मां गायत्री दुबे से मुलाकात की है. एसपी नेताओं ने कहा कि खुशी के निर्दोष होने के बावजूद जेल भेजा गया है. उन्होंने कहा कि अगर खुशी को कोर्ट से इंसाफ नहीं देता तो अखिलेश सरकार में उन्हें न्याय मिलेगा और राज्य में सरकार बनते ही खुशी के मामले वापस लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर खुशी की मां चुनाव लड़ना चाहती हैं तो पार्टी उस पर फैसला लेगी.
सपा से पहले बीएसपी ने भी किया था ऐलान
पिछले दिनों ही ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए बीएसपी ने भी कहा था कि वह खुशी दुबे का मामला लड़ेगी. राज्य में बीएसपी ब्राह्मण-दलित और मुस्लिम समीकरण के तहत चुनावी मैदान में उतर रही है और बीएसपी को उम्मीद है कि 2017 की तरह ब्राह्मण उसके पाले में आएंगे.