अखिलेश यादव की ‘वर्चुअल रैली’ बनी मुसीबत, 2500 सपा कार्यकर्ताओं पर FIR दर्ज
‘वर्चुअल रैली’ में शामिल होने के लिए पहुंचे कार्यकर्ता, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सपा मुश्किलों में घिरती नजर आ रही है। लखनऊ में आयोजित सपा की वर्चुअल रैली में कोरोना नियमों के उल्लंघन के आरोप में समाजवादी पार्टी के खिलाफ धारा 144 तोड़ने और महामारी एक्ट के तहत एफआईआर हुई है। लखनऊ पुलिस ने समाजवादी पार्टी के नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, क्योंकि शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में सैकड़ों समर्थक एक ‘वर्चुअल रैली’ में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। रैली को सपा प्रमुख अखिलेश यादव और भाजपा के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने संबोधित किया था। पुलिस ने एक-दो या पांच नहीं, बल्कि पूरे 2500 समाजवादी कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज किया है।
2500 सपा कार्यकर्ताओं पर FIR दर्ज
लखनऊ के पुलिस आयुक्त ने बताया कि करीब 2500 समाजवादी पार्टी के नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188, 269, 270 और 341 के तहत महामारी रोग अधिनियम की संबंधित धाराओं के साथ प्राथमिकी दर्ज की गई है। लखनऊ के पुलिस प्रमुख ने कहा कि इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले वीडियो साक्ष्य हासिल किए गए थे। दरसअल शुक्रवार को सीएम योगी की कैबिनेट का हिस्सा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य और डॉ धर्म सिंह सैनी समेत कई भाजपा विधायकों ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की उपस्थिति में पार्टी का दामन थामा था। यही नहीं, इस वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान अखिलेश समेत कई नेताओं ने भाषण भी दिया था। जबकि कार्यालय में जमकर भीड़ उमड़ी थी, जैसा कि वीडियो फुटेज में देखने को मिले हैं।
यूपी प्रमुख नरेश उत्तम पटेल ने बताई ये बात
वहीं, समाजवादी पार्टी के यूपी प्रमुख नरेश उत्तम पटेल ने एफआईआर दर्ज होने के बाद कहा कि हमारे पार्टी कार्यालय के अंदर एक वर्चुअल कार्यक्रम था। हमने किसी को फोन नहीं किया था, लेकिन लोग आ गए। इस दौरान सभी ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया। साथ ही कहा कि इस वक्त भाजपा के मंत्रियों के दरवाजे और बाजारों में भी भीड़ है, लेकिन उन्हें बस हमसे समस्या है। वहीं, यूपी के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सपा पर एफआईआर दर्ज होने के बाद कहा कि बाउंड्री के अंदर 144 धारा लागू नहीं होती है। कोरोना गाइडलाइन की बात है तो जांच करा लें।अगर हम लोग दोषी हैं तो पुलिस कार्रवाई करे, लेकिन पहले जांच करा लें।