2 साल में गायत्री ने बनाई 1000 करोड़ की संपत्ति:कभी गरीबी रेखा से नीचे आता था,
सत्ता में आते ही बना डाली 13 फर्जी कंपनियां
गैंगरेप केस में शुक्रवार को लखनऊ की MP-MLA कोर्ट ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
लखनऊ की MP-MLA कोर्ट ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 2014 से 2016 तक चित्रकूट की महिला से गैंगरेप और उसकी बेटी से रेप के प्रयास का दोषी ठहराया गया है। गायत्री के साथ उसके साथी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी इसी आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
गायत्री प्रसाद प्रजापति के बारे में बताया जाता है कि वह कभी गरीबी रेखा के नीचे आता था। हालांकि, मंत्री बनने के दो साल बाद ही वह एक हजार करोड़ का मालिक बन गया। गायत्री ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई गोरखधंधे किए। लोकायुक्त जांच में इसका खुलासा भी हुआ है।
गायत्री प्रसाद प्रजापति के ऊपर 2014 से 2016 तक चित्रकूट की महिला से गैंगरेप और उसकी बेटी से रेप के प्रयास का आरोप है।
मंत्री बनने के 2 साल में 1 हजार करोड़ का मालिक बना गायत्री प्रसाद
2016 में नूतन ठाकुर की शिकायत के मुताबिक, गायत्री प्रसाद प्रजापति की संपत्ति 942.5 करोड़ रुपए थी।गायत्री और उनके रिश्तेदारों के नाम वाली 13 कंपनियों का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए का था।इसमें गोल्ड क्रस्ट माइनिंग लिमिटेड और एमजी कालोनाइजर्स प्रा. लि. प्रमुख हैं।शिकायत के मुताबिक, गायत्री ने अपने ड्राइवर रामराज और एक अन्य करीबी महिला के नाम पर 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति खरीद रखी है।
2014-15 के बीच बनाई यह फर्जी कंपनियां
कॉरपोरेट मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, 2017 तक तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के परिजनों और उनके करीबियों की ऑनरशिप वाली 13 कंपनियां थीं।इनमें हर कंपनी में गायत्री प्रसाद के दोनों बेटे, भाई, और भतीजा, सभी कंपनियों में डायरेक्टर थे।इसमें गोल्ड क्रस्ट माइनिंग प्रा.लि. अगस्त 2014, एलिसियम माइनिंग एंड मिनरल्स इंडिया प्रा.लि. सितंबर 2014, टी एंड पी माइन्स इंडिया प्रा.लि. जुलाई 2014, इन्फोइट सोफटेकॉन प्रा.लि. जुलाई 2015, यूनिटॉन सोफटेक प्रा.लि. जुलाई 2015, फेयरटेक लैब्स प्रा.लि. जनवरी 2015 में रजिस्टर्ड है।इसी तरह 7 और कंपनियों में गायत्री प्रसाद प्रजापति के ड्राइवर और करीबी लोगों के नाम हैं।अवैध खनन की काली कमाई को सफेद करने के लिए बनाई गई इन कंपनियों में गायत्री के रिश्तेदारों के अलावा घर का ड्राइवर भी है।गायत्री प्रसाद प्रजापति की कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उसके बेटे अनुराग प्रजापति की थी।अनुराग प्रजापति पर पिछले साल अमेठी की एक नाबालिग लड़की से रेप का आरोप भी लगा था।
गायत्री के साथ उसके साथी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी इसी आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
इनके नाम से हैं संपत्तियां
पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी और सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने खुलासा किया था कि 16 लोगों के नाम पर गायत्री की बेनामी संपत्तियां हैं।इसमें गायत्री के परिवार के अनिल प्रजापति (पुत्र), अनुराग प्रजापति (पुत्र), सुधा (पुत्री), अंकिता (पुत्री), महाराजी (पत्नी), रामशंकर (भाई), जगदीश प्रसाद (भाई) शामिल हैं।करीबियों में गुड्डा देवी (महिला सहयोगी), राम सहाय (ड्राइवर), रामराज (सहयोगी), पूनम (गुड्डा की बहन), सुरेन्द्र कुमार, प्रमोद कुमार सिंह, सरोज कुमार, जन्मेजय और देवतादीन शामिल हैं।
जमीन का कारोबार भी है करोड़ों में
2012 में विधायक बनने से पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति छोटी-छोटी जमीनें खरीदकर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम किया करते थे।मंत्री बनने के बाद गायत्री ने 3 कंपनियों के द्वारा जमीन का भी कारोबार किया।लखनऊ के रायबरेली रोड पर मोहनलाल गंज में इनकी 110 एकड़ जमीन का जिक्र कंपनी में किया गया है।गायत्री प्रसाद की कंपनियां खनन के अलावा जमीन से जुड़े हुए व्यापार में भी शामिल रहीं हैं।प्रॉपर्टी से जुड़े व्यापार और अवैध सम्पत्तियों के लिए अलग कंपनियां बनाई गई हैं।
गायत्री प्रसाद प्रजापति के बारे में बताया जाता है कि वह कभी गरीबी रेखा के नीचे आते थे। हालांकि मंत्री बनने के दो साल बाद ही वह एक हजार करोड़ के मालिक बन गए थे।
2002 में गरीबी रेखा के नीचे था गायत्री
गायत्री प्रसाद प्रजापति 2002 तक गरीबी रेखा के नीचे आता था।2012 में गायत्री ने अपनी कुल संपत्ति 1.83 करोड़ बताई थी।साल 2009-10 में उनकी सालाना इनकम 3.71 लाख रुपए थी।साल 2011 में प्रजापति तब पहली बार मीडिया की सुर्खियों में आया, जब आगरा में हुए पार्टी अधिवेशन में रामगोपाल यादव ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया कि अमेठी के गायत्री प्रसाद प्रजापति ने पार्टी को 25 लाख रुपए का चंदा दिया है।साल 2012 में गायत्री ने अपने एफिडेविट में दो गाड़ियां दिखाई थी। जब वह जेल से बाहर थे तब वह बीएमडब्लू से भी चलते दिखाई देते थे।
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