महाराष्ट्र के तीन शहरों में तनाव:नांदेड, मालेगांव और अमरावती में माहौल बिगड़ा
त्रिपुरा हिंसा के विरोध में निकाले जा रहे जुलूस के दौरान पथराव;
त्रिपुरा में कई दिन से चल रही हिंसा की आग शुक्रवार को महाराष्ट्र के तीन शहरों में भी देखने को मिली। महाराष्ट्र के नांदेड, मालेगांव और अमरावती में दोपहर बाद हिंसा फैल गई। हालांकि, दोपहर बाद हिंसक हुआ माहौल तीनों ही शहरों में शाम होते-होते पुलिस के काबू में आ गया। फिलहाल तीनों शहरों में शांति है और भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई है।
नांदेड में त्रिपुरा में हिंसा का विरोध जताने हजारों लोग सड़क पर उतर आए।
बंद के दौरान नांदेड जिले के शिवाजीनगर इलाके में भारी पथराव हुआ है। यहां कुछ गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई थी। यह घटना जबरदस्ती दुकानें बंद कराने के दौरान हुई। कई जगह पर पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की जानकारी भी सामने आई है। जिले के सभी आलाधिकारी अभी भी प्रभावित इलाके में मौके पर मौजूद हैं और दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
नांदेड में तोड़फोड़ के बाद का हाल।
नांदेड के SP प्रमोद कुमार ने देर रात बताया कि रजा अकादमी की तरफ से नांदेड में एक धरना आयोजित किया गया था। धरने में शामिल कुछ युवाओं ने पुलिस पर पथराव किया। पुलिस ने उचित बल का प्रयोग करते हुए उन्हें भगा दिया। शहर में 3-4 जगह ऐसी घटना हुई हैं। मामला दर्ज कर रहे हैं। अभी नांदेड में शांति है।
मालेगांव में सीसीटीवी फुटेज से हो रही आरोपियों की पहचान
मालेगांव में बंद का आह्वान सुन्नी जमातुल उलमा, रेजा अकादमी और अन्य संगठनों ने किया था। बंद के दौरान हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर आ गए। शहर के पूर्वी हिस्से में बंद शांतिपूर्ण ढंग से रहा। हालांकि, शाम को युवकों के एक समूह ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास की दुकानों पर पथराव कर दुकानें बंद करने का प्रयास किया। इसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक चंद्रकांत खांडवी, उपाधीक्षक लता डोंडे, नगर थाना निरीक्षक धुसर समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।
नांदेड में भीड़ को संभालने का प्रयास करती पुलिस।
भीड़ ने मौके पर पहुंची रैपिड रिएक्शन फोर्स के वाहन पर भी पथराव किया। इसके बाद उन्हें कंट्रोल करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। इस घटना के बाद शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी कई अफवाहें सुनने को मिलीं। मालेगांव में यह जानकारी सामने आ रही है कि भीड़ द्वारा किए गए पथराव में कुछ पुलिसकर्मी मामूली रूप से घायल हुए हैं। फिलहाल CCTV फुटेज की सहायता से आरोपियों को पकड़ने का काम जारी है। पूरे शहर में दंगा नियंत्रण दल तैनात कर दिया गया है।
नांदेड में भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
नासिक पुलिस के एसपी सचिन पाटिल के मुताबिक, मालेगांव में परिस्थिति अब शांतिपूर्ण है। शाम को 3-4 दुकानों पर कुछ लोगों ने पथराव किया, उस संबंध में पुलिस क़ानूनी कार्रवाई कर रही है। लोगों से अनुरोध है कि किसी भी तरह की कोई ग़लत सूचना न फैलाएं। ऐसा करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा ने भी अमरावती बंद का किया आह्वान
एक समुदाय की तरफ से घोषित बंद के दौरान अमरावती के चित्रा चौक, चौधरी चौक से मार्च कर रही भीड़ में से कुछ लोगों ने उसी क्षेत्र में खुले व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर पथराव किया और दुकानों में तोड़फोड़ की। इसे लेकर व्यापारियों में आक्रोश है। इसके बाद कुछ व्यापारियों को साथ लेकर भाजपा और बजरंग दल के पदाधिकारी व कार्यकर्ता कोतवाली थाने पहुंचे और अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। भाजपा ने आज हुई तोड़फोड़ के विरोध में शनिवार (13 दिसंबर) को अमरावती बंद का आह्वान किया है।
अमरावती के मुख्य चौक पर प्रदर्शन करने पहुंचे एक समुदाय के लोग।
भिवंडी में भी बंद का मिलाजुला असर रहा
भिवंडी में भी रजा अकादमी ने बंद का आह्वान किया था। शहर के बाजार बंद हैं। भिवंडी में बंद को एमआईएम, कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी ने समर्थन था।
गृहमंत्री पाटिल ने की शांति की अपील
महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा कि त्रिपुरा में हुई हिंसा के विरोध में आज मुस्लिमों ने पूरे राज्य में प्रदर्शन किया। इस दौरान नांदेड, मालेगांव, अमरावती और कुछ अन्य जगह पर पत्थरबाजी की घटनाओं हुईं। मैं सभी हिंदुओं और मुस्लिमों से राज्य में शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के बाद त्रिपुरा में हुई थी बड़ी हिंसा
बता दें कि त्रिपुरा में बड़े स्तर पर सांप्रयादिक हिंसा देखने को मिली। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले के बाद से ही त्रिपुरा में माहौल गरमा गया था। मुस्लिम संगठनों का आरोप था कि वहां पर उन्हें धमकी दी जा रही है और हमले हो रहे हैं। धार्मिक स्थल के तोड़े जाने की अफवाह भी जोरों से चल रही थी, लेकिन पुलिस ने अपनी जांच में इस खबर को नकार दिया। लेकिन उस तनावपूर्ण माहौल और कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स की वजह से पूरे देश में त्रिपुरा हिंसा का विरोध हुआ।
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