जानिए क्यों? यूपी की इस ‘हाई प्रोफाइल सीटों’ पर अभी से टिकी सबकी निगाहें

लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election) में वैसे तो सभी 403 सीटें अहम हैं. लेकिन, इन सीटों में से कुछ सीटें ऐसी हैं जिनपर अभी से लोगों की निगाहें टिक गयी है. इन्हें वीवीआईपी सीट कहा जा सकता है क्योंकि इन सीटों के नतीजे सरकार, विपक्ष और कुछ गणमान्य लोगों का भविष्य तय करेंगे. इनकी संख्या 70 के पार है. बात सबसे पहले सत्ताधारी भाजपा की. सरकार में लगभग 50 मंत्रियों की सीटों पर सभी अभी से गुणा-गणित करने लगे हैं कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा. यही नहीं किसे दोबोरा टिकट मिलेगा और किसका कटेगा, इसकी भी चर्चा तेज है. इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ के भी अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज होती जा रही है. भले ही वे अयोध्या से लड़ें या नहीं लेकिन, इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी.

अगर बात करते हैं मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी की तो आजमगढ़ से दुर्गा यादव, कैराना से नाहिद हसन, ऊंचाहार से मनोज कुमार पांडेय, अमरोहा से महबूब अली, बांसडीह से रामगोविन्द चौधरी और मल्हनी से लकी यादव की सीट सबकी नजरों में चढ़ी हुई है. इन सीटों से जीतने वाले सपा के धुरंधर माने जाते हैं. ज्यादातर अखिलेश सरकार में मंत्री भी थे. 2017 में भाजपा की आंधी के बीच अपनी सीट बचाने में ये कामयाब रहे थे. वैसे तो जौनपुर की मल्हनी से लकी यादव उपचुनाव में जीतकर पहली बार विधायक बने हैं. ये भी कम बड़ी बात नहीं है क्योंकि उपचुनाव में अकसर सत्ताधारी पार्टी के ही विधायक जीतते हैं.

प्रतापगढ़ के कुण्डा से राजा भैया
इसके अलावा बसपा के उन 6 विधायकों पर भी सभी की नजरें टिकीं हैं जिन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया है. पार्टी के बदलने से चुनावी समीकरण भी बदल जाया करते हैं. ऐसे में इनके राजनीतिक भविष्य को भी लेकर जोड़-घटाव हो रहे हैं. अब बात करते हैं कुछ उन धुरंधरों की जो पार्टी लाइन से ऊपर के नेता माने जाते हैं. प्रतापगढ़ के कुण्डा से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, मथुरा की मांट सीट से बसपा विधायक श्यामसुंदर शर्मा, बलिया की रसड़ा सीट से बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह, ये कुछ ऐसे नाम हैं जिनकी अपने क्षेत्र में अलग पहचान है. इनके बारे में कहा जाता है कि ये जिस भी पार्टी से लड़ेंगे, जीतेंगे. रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह की सीट पर भी सबकी निगाहें लगी हैं.

रामपुर और स्वार सीट पर आजम परिवार का कब्जा
अदिति भाजपा की करीब हैं. उनकी सीट पर नज़रें इसलिए लगी हैं क्योंकि रायबरेली सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत नहीं दिखी है. 2017 की आंधी में भाजपा को यहां कुल 28 हजार वोट मिले थे. इस सीट से अदिति के पिता दिवंगत अखिलेश सिंह जीतते रहे थे. इस बार के चुनाव में नजरें रामपुर, प्रयागराज, गाजीपुर और मऊ पर भी विशेष लगी हुई हैं. रामपुर जिले की रामपुर और स्वार सीट आजम खान की वजह से वीवीआईपी हो गयी है. 2022 का चुनाव आजम खान की फैमिली के लिए बहुत अहम है. आजम और उनके बेटे अभी तक जेल में हैं.

मऊ की सीटों पर मुख्तार फैमिली
इसीलिए चर्चा चल रही है कि आजम की बहू सिदरा अदीब चुनावी मैदान में उतरेंगी. आज़म की पत्नी तज़ीन फातमा रामपुर से और बहू स्वार से उतर सकती हैं. इसके अलावा गाजीपुर और मऊ की सीटों पर मुख्तार फैमिली से कितने लोग चुनावी मैदान में उतरेंगे, ये देखना भी खासा दिलचस्प होगा. प्रयागराज में अतीक अहमद के परिवार से कौन किस्मत आजमाता है और किस सीट से, इसका भी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

Related Articles

Back to top button