औरंगजेब ने भी पटाखों पर लगाया था बैन:स्टेट आर्काइव बीकानेर में रखा है 8 अप्रैल 1667 में जारी पटाखे बैन का आदेश
स्टेट आर्काइव में रखा 4 अप्रैल 1667 का औरंगजेब का पटाखा बैन का आदेश
पटाखों और आतिशबाजी से होने वाले एयर पॉल्यूशन और कोरोना मरीजों की दिक्कत का हवाला देकर पिछले दो साल से सरकार दिवाली पर पटाखों पर बैन लगाती आ रही है। इस बार केवल रात आठ बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की ही अनुमति है।
पटाखों पर रोक का इतिहास पुराना है। आज से 350 साल पहले मुगल शासक औरंगजेब के समय में पटाखों और आतिशबाजी पर रोक लगाई गई थी। बीकानेर के स्टेट आर्काइव में 8 अप्रैल 1667 में जारी औरंगजेब के समय का आदेश आज भी सुरक्षित रखा हुआ है।
औरंगजेब के समय 8 अप्रैल 1667 में जारी इस आदेश में पटाखों और आतिशबाजी पर सभी प्रदेशों में रोक लगाने का जिक्र है। आदेश में लिखा है- बादशाह के सूबों के अफसरों को लिख दीजिए कि वे आतिशबाजी पर रोक लगा दें। शहर में भी घोषणा कर दें कि कोई आतिशबाजी न करें। इस आदेश में किसी त्यौहार का जिक्र नहीं है। औरंगजेब के समय इस आदेश में किसी समय सीमा का भी जिक्र नहीं है। इस आदेश के हिसाब से लंबे समय तक आतिशबाजी पर रोक लगाई गई थी।
राजस्थान स्टेट आर्काइव के निदेशक महेंद्र सिंह खड़गावत ने भास्कर से कहा- औरंगजेब के समय आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया गया था। अप्रैल 1667 का औरंगजेब के समय का लेटर आर्काइव में हमारे पास सुरक्षित है। उस लेटर में दिवाली का जिक्र नहीं है, लेकिन वह लेटर सही है।
रिटायर्ड आईएएस ने कहा- नेताओं और जज के रूप में हमारे पास नए औरंगजेब
इधर, रिटायर्ड IAS और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) के पूर्व अध्यक्ष संजय दीक्षित ने बीकानेर आर्काइव में रखे औरगंजेब के समय पटाखों पर बैन के लेटर का हवाला देकर तंज कसा है। दीक्षित ने ट्वीट किया- औरंगजेब की वापसी।औरंगजेब ने सबसे पहले दिवाली पर पटाखों पर पाबंदी लगाई। अब हमारे पास जजों और राजनेताओं के रूप में नए औरंगजेब हैं।
कोर्ट के ओदश पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसी भी तरह के पटाखों पर बैन हैं। इस प्रतिबंध के दायरे में राजस्थान का अलवर और भरतपुर जिले का बड़ा क्षेत्र आएगा। संजय दीक्षित ने इसी आदेश की तुलना औरंगजेब के समय से की है।
बीकानेर रियासत में 1908 में बना था भक से उड़ जाने वाले पदार्थों का एक्ट
आजादी से पहले 1908 में तत्कालीन बीकानेर स्टेट में बारूद, आतिशबाजी के उपयोग को लेकर भक से उड़ जाने वाले पदार्थों का एक्ट बनाया था। बारूद को ही भक से उड़ जाने वाला पदार्थ कहते हैं। इस एक्ट में किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए बारूद से धमाका करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था। आतिशबाजी और पटाखों के उपयोग को भी रेगुलेट किया गया था।
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