पटना सीरियल ब्लास्ट की पूरी कहानी:करबीगहिया ROB के पास खड़े थे तत्कालीन SSP मनु महाराज,

तभी मिली पहले ब्लास्ट की खबर, फिर बैक-टू-बैक धमाके

27 अक्टूबर 2013 के दिन को पटना क्या, पूरे बिहार के लोग कभी भूला नहीं सकते। ये वो दिन है जब राजधानी में पहली बार किसी आतंकी साजिश को अंजाम दिया गया था। उस वक्त के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए सीरियल ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया गया था। गांधी मैदान में भारतीय जनता पार्टी की हुंकार रैली थी। पूरे राज्य से लोग उस रैली में शामिल होने आए थे। दूरदराज इलाकों के रहने वाले लोग एक दिन पहले ही पटना पहुंचने लगे थे।

पहले से ही उम्मीद थी कि इस रैली में लोगों की भारी भीड़ उमड़ेगी। खुफिया एजेंसी से लेकर राज्य पुलिस और इनका तंत्र अपने स्तर से काम कर रहा था। मगर, आतंकवादियों की ठोस प्लानिंग की पुख्ता जानकारी देने में देश और राज्य की खुफिया एजेंसी फेल साबित हो गई थी। उस वक्त IPS मनु महाराज पटना के SSP थे। रैली की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर वो लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे।

रैली वाले दिन यानी 27 अक्टूबर 2013 की सुबह वह शहर की पेट्रोलिंग पर निकल चुके थे। बात उस दिन की सुबह 8:30 से 8:45 बजे के बीच की होगी। गाड़ी से घूमते हुए अपनी टीम के साथ करबीगहिया ROB के पास पहुंच गए। अपनी टवेरा गाड़ी से उतरकर मनु महाराज उस इलाके में पैदल ही गश्ती करने लगे। कुछ देर बाद 9 बजे के करीब उनके सरकारी मोबाइल की घंटी बजी। कॉल को जैसे ही उन्होंने रिसीव किया, उन्हें पहले बम ब्लास्ट की मनहूस खबर मिली। पहला बम ब्लास्ट पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 पर बने सुलभ शौचालय के अंदर हुआ था।

हुंकार रैली में गांधी मैदान के अंदर इस तरह जुटी थी भीड़। इसी दरम्यान हुए सीरियल ब्लास्ट।

जक्कनपुर थानेदार ने किया था इनकार पर रेल थानेदार ने किया था कन्फर्म
पहले बम ब्लास्ट की जानकारी मिलते ही पुलिस के होश उड़ गए थे। सबसे पहले उस वक्त जक्कनपुर के थानेदार मनोज कुमार को कॉल लगाया। ब्लास्ट के बारे में पूछने पर थानेदार ने इस प्रकार की किसी घटना के होने से इनकार कर दिया था। लेकिन, जैसे ही इनका कॉल कटा, ठीक वैसे ही पटना जंक्शन रेल थाना के थानेदार रामपुकार सिंह ने SSP के मोबाइल पर कॉल कर किया और प्लेटफॉर्म नंबर 10 पर पहले बम ब्लास्ट की घटना को कन्फर्म किया।

खुद को पैसेंजर बता एक संदिग्ध हो गया था फरार, दूसरे को दबोचा
रेल थानेदार के कंफर्म करने के बाद मनु महाराज अपनी टीम के साथ सीधे स्टेशन भागे और बम ब्लास्ट वाली जगह पर पहुंचे। उसी दरम्यान शौचालय के अंदर दूसरा ब्लास्ट हुआ था। तभी शौचालय के अंदर से निकल रहे दो संदिग्धों को पटना पुलिस की टीम ने पकड़ा था। जिसमें एक संदिग्ध खुद को पैसेंजर बता फरार हो गया था। यही काम दूसरा संदिग्ध भी करने वाला था। मगर, उस वक्त SSP और उनके बॉडीगार्ड को डाउट हुआ। उस संदिग्ध को सीधे पुलिस की गाड़ी में बैठाकर जक्कनपुर थाना ले जाया गया था।

सिल्वर पेपर में लपेटा हुआ मिला था बम
उस दौरान सुलभ शौचालय की जांच कराने के लिए बम स्क्वायड और FSL की टीम को स्टेशन पर बुलाया गया था। शौचालय के अंदर की गई जांच के दौरान टीम के हाथ कुछ लगा। उसके ऊपर सिल्वर पेपर लपेटा हुआ था। जब सिल्वर पेपर को हटाया गया तो उसके अंदर जिंदा बम मिला था। जिसे बाद में डिफ्यूज किया गया था।

जब ठुकाई हुई तो बताया कि गांधी मैदान में बहुत सारा बम लगा है
कुछ देर बाद पटना जंक्शन से अपनी टीम के साथ जक्कनपुर थाना पहुंचे थे। सुलभ शौचालय से पकड़े गए संदिग्ध से वहां पूछताछ शुरू की। उस वक्त वहां मौजूद सभी पुलिस वालों को जमकर बरगलाने की कोशिश की। जब पुलिस ने सख्ती बरती तो वो कहने लगा था कि वो हार्ट पेशेंट है और उसने कुछ भी नहीं किया है। लेकिन, इसके बाद भी पुलिस रुकी नहीं। एक कांस्टेबल ने उस संदिग्ध की जमकर ठुकाई की तब उसने अपना मुंह खोला और सारे राज उगल दिए। उसने जो बताया उसे सुन पुलिस टीम के बीच हड़कंप मच गया। ठुकाई के बाद उस संदिग्ध ने कबूल किया था कि गांधी मैदान में बहुत सारा बम लगा है।

गाड़ी में बैठते ही आया था टाउन डीएसपी का कॉल
अपनी टीम के साथ जक्कनपुर से सीधा गांधी मैदान जा रहे थे। तभी उस वक्त पटना के टाउन डीएसपी मनोज तिवारी का कॉल आया। उन्होंने जानकारी दी की गांधी मैदान के अंदर एक ब्लास्ट हुआ है। उस समय टाउन डीएसपी की इस सूचना ने और हड़कंप मचा दिया था।

सामने हुए ब्लास्ट और एक मोटा आदमी मर गया
जक्कनपुर थाना से निकलकर अपनी टीम के साथ साउथ गांधी मैदान पहुंचा। रामगुलाम चौक के सामने वाले गेट से मैदान के अंदर एंट्री करते हैं। बीच में बने महात्मा गांधी की प्रतिमा के तरफ वो जा रहे थे। एक जगह पर एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे। उनके बगल में ही एक मोटा आदमी भी आकर बैठा था। तभी अचानक से एक ब्लास्ट हुआ और फिर मोटा आदमी दूर फेंका गया। उस धमाके में मोटे आदमी की मौके पर ही मौत हो जाती है। जबकि, वहां पर 2-3 लोग घायल हो जाते हैं। यहीं से पटना पुलिस का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ।

आंखों के सामने हुआ था ब्लास्ट
जब गांधी मैदान के अंदर मौजूद थे और रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। उस दरम्यान दो जगहों पर बम ब्लास्ट उनके आंखों के सामने हुआ था। एक ब्लास्ट गांधी मूर्ति के पास हुआ था तो दूसरा ट्विन टॉवर बिल्डिंग के सामने। सूत्र बताते हैं कि इससे पहले जब मनु महारज करबिगहिया ROB के पास पैदल गश्त कर रहे थे तो वहां हुए पहले ब्लास्ट की आवाज भी कानों तक पहुंची थी।

जिस संदिग्ध को पटना जंक्शन से पकड़ा गया और जक्कनपुर थाना में पूछताछ हुई थी, वो कोई और नहीं बल्कि आतंकवादी इम्तियाज अंसारी उर्फ आलम था। सख्ती से किए गए पूछताछ में सारे राज अगले थे। पटना में कुल 20 सीरियल बम ब्लास्ट प्लानिंग थी। गांधी मैदान के अंदर कुल 18 बम आतंकियों ने लगा रखा था। समय पर पटना पुलिस को इन्फॉर्मेशन मिल गई थी। जिसके बाद भीड़ को हटा तेजी से कार्रवाई करते हुए अलग-अलग जगहों से 13 जिंदा बम मैदान के अंदर से बरामद किए गए थे। इसमें 5 सीरियल ब्लास्ट मैदान के अंदर तो इसके पहले 2 ब्लास्ट पटना जंक्शन के सुलभ शौचालय में हो चुका था।

इम्तियाज से ही लाइनर का पता चला था और मोतिहारी से पटना पुलिस की टीम ने उसे पकड़ा था। इसमें सबसे चौंकाने वाला खुलासा तो ये था कि नरेंद्र मोदी की रैली पटना के बाद छत्तीसगढ़ में होनी थी और वहां की रैली में भी सीरियल ब्लास्ट की प्लानिंग आतंकियों ने कर रखी थी। मगर, उसके पहले ही पटना ब्लास्ट के मामले में बिहार से लेकर झारखंड व दूसरे जगहों पर तेजी से कार्रवाई शुरू हो गई थी।

तस्वीरों के जरिए देखिए जिंदगी बचाने में कैस खाकी वर्दी हुई थी लाल
हुंकार रैली के दौरान मंच पर भाजपा नेताओं का भाषण चल रहा था। दूसरी तरफ उन्हें सुनने के लिए लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी। गांधी मैदान के अंदर जब एक के बाद एक सीरियल बम ब्लास्ट होने लगा तो घायलों की संख्या अचानक से काफी बढ़ गई। मैदान के अंदर मौजूद खाकी वर्दी वाले घायलों की जिंदगी बचाने में जुट गए। उस वक्त खाकी वर्दी का रंग लाल हो चुका था। उस वक्त के SSP मनु महाराज, उनके बॉडीगार्ड मनीष व मृत्युंजय सहित कई पुलिस वाले घायलों को मैदान से बाहर ले जाते दिखे। जल्दी से घायलों को इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुंचवाया। उस वक्त की तस्वीरों के जरिए आप भी देखिए कि कैसे खाकी वर्दी वाले कई जिंदगियों को बचाने के लिए अपनी ड्यूटी कर रहे थे। इस आतंकी घटना में कुल 6 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 89 लोग घायल हो गए थे।

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