कैमरे के सामने बनते देखिए नकली मावा:आलू, फिटकरी और तेल की मिलावट,
1 लीटर दूध में बना दिया आधा किलो नकली मावा
दीपावली फेस्टिवल सीजन शुरू होते ही बाजार में मावे की मांग अचानक बढ़ गई है। बाजार में मांग को पूरा करने के लिए नकली मावा बाजार में बेचा जा रहा है। बड़े मुनाफे के चक्कर में बड़ी तादाद में मिलावट की जा रही है। यह इतना खतरनाक है कि धीमी मौत दे रहा है और किडनी और लिवर तक असर कर रहा है। जयपुर समेत आसपास के जिलों में बड़ी तादाद में नकली मावा सप्लाई किया जा रहा है।
इस पर दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। जयपुर के आसपास में नकली मावा तैयार करने वालों का बड़ा नेटवर्क है। इन गांवों में एक या दो नहीं बल्कि 300 से ज्यादा भटि्टयां हैं। बस आपको अपनी डिमांड रखनी है। टीम ने जब 100 किलो मावा की डिमांड रखी तो 1 घंटे में ही यह नकली मावा तैयार कर सप्लाई करने का दावा किया गया।
इन गांवों में अधिकांश घरों में भटि्टयां हैं। यहां तक पहुंचना किसी खतरे से कम नहीं था। कई फैक्ट्रियां तो गांव से दूर जंगलों में बनी हैं। यहां एक साथ 15 से ज्यादा भटि्टयों पर मावा तैयार किया जा रहा था।
देखिए कैसे तैयार होता है नकली मावा…
टीम जब गांव पहुंची तो नकली मावा बनाने वाले एक कारीगर ने चौंकाने वाले खुलासे किए। कारीगर ने बताया कि फेस्टिवल में मावा की इतनी डिमांड बढ़ जाती है कि नकली मावा तैयार करना पड़ता है। बाहर से 15 दिन पहले ही कारीगर ठेके पर बुलाने पड़ते हैं। अधिकतर भटि्टयों पर इन दिनों नकली मावा ही बनाकर बेचा जा रहा है।
मावा की डिमांड बढ़ने पर दूध की सप्लाई नहीं हो पाती है। इसके लिए पहले 10 किलो दूध से 100 किलो दूध तैयार किया जाता है। इसके बाद इससे नकली मावा तैयार करते हैं। गांवों में पकड़े जाने का भी डर नहीं होता है। टीम आती है तो सब सैटल हो जाता है।
कैमरे के सामने तैयार कर बताया नकली मावा
इस कारोबार से जुड़े एक कारीगर ने नकली मावा को लेकर बड़े खुलासे किए। यहां तक कि उसने नाम और पहचान न बताने की शर्त पर नकली मावा कैमरे के सामने बनाकर बताया। उसने बताया कि सामान्य तौर पर 10 लीटर दूध में पाउडर मिलाकर उस दूध को 100 लीटर बनाया जाता है। कढ़ाही में दूध डालने के बाद फिटकरी और मैदा मिलाया। फिटकरी डालने से मावा जल्दी तैयार हो जाता है। इसके बाद चिकनाहट के लिए रिफाइंड तेल मिलाया।
कारीगर ने टीम के सामने 2 मिनट में नकली मावा बनाकर दिखा दिया। उसने बताया कि एक लीटर दूध में 100 ग्राम मावा निकलता है, लेकिन नकली मावा 300 ग्राम तक बना देते हैं। जब उससे पूछा कि 100 किलो मावा की डिमांड कितने दिन में पूरा कर देते हैं तो कारीगर ने बताया कि कुछ ही घंटे में 100 किलो तक मावा तैयार कर बाजार में सप्लाई कर दिया जाता है।
140 रुपए की लागत, बाजार में 250 रुपए तक बेच रहे
कारीगर ने टीम को बताया कि सामान्य दिनों में उनके यहां रोजाना करीब 100 किलो की खपत रहती है, लेकिन दिवाली पर इसकी खपत 5 गुना तक बढ़ जाती है। करीब 500 किलो तक मावा की सप्लाई होती है। एक किलो नकली मावा बनाने में करीब 140 रुपए तक लागत आती है। इसे बाजार में 220 से 250 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है, जबकि शुद्ध दूध से बने मावे की कीमत 300 रुपए प्रति किलो है। इस तरह करीब 100 रुपए प्रति किलो का मोटा मुनाफा कमाते हैं।
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